मुर्शिदाबाद में केवल हिंदू थे टारगेट, सोई रही बंगाल पुलिस: HC जाँच कमेटी की रिपोर्ट से TMC बेनकाब, बताया- MLA अमीरुल इस्लाम के आते ही घरों को फूँका

मुर्शिदाबाद हिंसापश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में पिछले महीने हुई हिंसा की जाँच के लिए हाई कोर्ट ने कमेटी बनाई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट दे दी है। कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा बनाई गई जाँच समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इस हिंसा में ममता बनर्जी की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी के स्थानीय नेताओं की अहम भूमिका रही।

यह हिंसा वक्फ संशोधन बिल के पास होने के दौरान शुरू हुई थी, जिसें हिंदुओं को निशाना बनाया गया। जब पीड़ित लोगों ने मदद के लिए पुलिस को फोन किया, तो पुलिस ने कोई जवाब नहीं दिया और पूरी तरह निष्क्रिय रही।

रिपोर्ट में बताया गया कि हिंसा में बड़े पैमाने पर आगजनी और लूटपाट हुई। दुकानों और मॉल्स को बेरहमी से नष्ट किया गया। जाँच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “हमले स्थानीय पार्षद मेहबूब आलम के इशारे पर हुए। स्थानीय पुलिस गायब रही और उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।” यह रिपोर्ट एनडीटीवी ने हासिल की है।

रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य हमला शुक्रवार (11 अप्रैल 2025) को दोपहर 2:30 बजे के बाद हुआ। जिसमें बताया गया है कि “यहाँ स्थानीय पार्षद मेहबूब आलम हमलावरों के साथ आया। उसके साथ समसेरगंज, हिजलतला, शिउलीतला और डिगरी के नकाबबंद मुस्लिम थे। उन्होंने हमला कर सबकुछ जला दिया। इसके बाद विधायक अमीरुल इस्लाम आया और उसने देखा कि कौन से घर अभी तक नहीं जले। इसके बाद हमलावरों ने उन घरों में आग लगा दी।”

हिंसा पीड़ित ग्रामीणों के जख्मों पर नमक डालते हुए हमलावरों ने पानी की पाइपलाइन भी काट दी, ताकि वो अपने घरों में लगी आग को बुझा तक न सकें। इसी बेटबोना गाँव में 113 घर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। इन घरों को इतना नुकसान हुआ कि अब वे रहने लायक नहीं हैं। इन्हें पूरी तरह दोबारा बनाना होगा। गाँव की महिलाएँ डर के मारे अपने रिश्तेदारों के पास रहने को मजबूर हैं।

मुर्शिदाबाद हिंसा के अगले दिन शनिवार (12 अप्रैल 2025) को हिंदू पिता-पुत्र की उनके मुस्लिम पड़ोसियों ने ही हत्या कर दी।इसके बाद हुई हिंसा में इलाके की दुकानें और बाजार पूरी तरह तबाह हो गए। किराना स्टोर, हार्डवेयर की दुकानें, इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़े की दुकानों को नष्ट कर दिया गया। मंदिरों को भी नहीं बख्शा गया। यह सब स्थानीय पुलिस स्टेशन से सिर्फ 300 मीटर की दूरी पर हुआ।

इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि घोषपारा (मुर्शिदाबाद का इलाका) में 29 दुकानें फूँकी गई या तोड़फोड़ की शिकार हुई। इस दौरान एक शॉपिंग मॉल जैसा बाजार लूट लिया गया और उसे बंद कर दिया गया।
जाँच समिति में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और न्यायिक सेवा के सदस्य शामिल थे। इस समिति ने गाँवों का दौरा किया और हिंसा के शिकार लोगों से बात की। इसके बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई, जिसे मंगलवार (20 मई 2025) को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के सामने पेश किया गया।

हमने अपनी रिपोर्ट में ये भी बताया था कि मुर्शिदाबाद हिंसा में न सिर्फ मंदिरों पर हमले किए गए, बल्कि मंदिरों के सामने पेशाब किए गए और हिंदुओं को कलमा पढ़ने तक के लिए मजबूर किया। हमारी एक रिपोर्ट में ये बात साफ तौर पर लिखी गई है, जिसमें हिंदुओं के घरों पर निशान लगाकर उन्हें हिंसा का शिकार बनाया गया।

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