लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती के बयान पर समाजवादी पार्टी (सपा) में हलचल मच गई है. सपा समझ नहीं पा रही कि 2019 में बीजेपी को हराने के लिए उसने बीएसपी के साथ जिस गठबंधन का मन बनाया था, उसका ऐसा हश्र होगा.मायावती ने अभी हाल में यह कहकर सियासी उथल-पुथल मचा दी कि न तो वे किसी की ‘बुआ’ हैं और न ही उनका कोई ‘भतीजा’ है.
इसमें कोई दो राय नहीं कि मायावती दलितों की सर्वमान्य नेता हैं, इसलिए बीएसपी के साथ गठबंधन की बीजेपी और सपा की हमेशा कोशिश रहती है. इन दोनों पार्टियों को लगता है कि बीएसपी सुप्रीमो से उनका गठजोड़ हो सकता है.
आगरा में बीएसपी का एक भी ऐसा नेता नहीं है जो मायावती और उनके हालिया ‘मिजाज परिवर्तन’ के बारे में कुछ बोल सके लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव को ‘डैमेज कंट्रोल’ करते आसानी से देखा जा सकता है. अखिलेश फिलहाल तीन मोर्चों पर एक साथ जूझ रहे हैं-बीजेपी का हमलावर रुख, मायावती की महत्वाकांक्षा और अपने चाचा शिवपाल यादव की बनाई पार्टी समाजवादी सेकुलर मोर्चा के आसन्न खतरे.
बीजेपी जहां यूपी में विकास की बयार बहाकर अखिलेश के ‘प्रगतिशील नेता’ की इमेज पर बट्टा लगा रही है, तो मायावती अपने पत्ते तभी खोल रही हैं जब सबके पत्ते खत्म हो चुके हों. अखिलेश के लिए इससे भी गंभीर बात यह है कि उनके चाचा ने जो पार्टी बनाई है, वह आज नहीं तो कल समाजवादी पार्टी के वोटबैंक में दरार डालेगी क्योंकि कई नेता ऐसे हैं जो अखिलेश से खार खाए हैं और वे शिवपाल के संपर्क में हैं.
सपा के एक नेता ने इंडिया टुडे को बताया कि जिस बात का डर था वही हुआ और मायावती ने सारा मोलतोल करने के बाद पाला बदल लिया. मायावती ने देख लिया कि अगले चुनाव में सपा का अधिकांश वोट शिवपाल यादव की पार्टी को जा सकता है. जिसका अंत नतीजा सपा के वोट बैंक में सेंधमारी है. ऐसी स्थिति में सपा को वोटों का घाटा होगा और बीजेपी आराम से निकल जाएगी.
नेता ने आगे कहा, पिछले चुनाव में सपा और कांग्रेस ने जब एक साथ चुनाव लड़ा तो दोनों पार्टियों का वोटबैंक गठबंधन को नहीं मिल पाया. इससे सपा की करारी हार हो गई. कुछ ऐसा ही माजरा 2019 के चुनावों में हो सकता है, जब बीजेपी को एकमुश्त वोट मिल जाए और वह आगे निकल जाए. संभव है कि मायावती भी इसी लाइन पर सोच रही हों कि गैर-बीजेपी गठबंधन को अगर वो सपोर्ट करती हैं, तो बीएसपी का वोटबैंक तो गठबंधन को जा सकता है लेकिन गठबंधन का वोट उन्हें मिले, इस पर संशय है. कुछ ऐसा ही सोच कर उन्होंने अलग रहने का फैसला किया है.