कांग्रेस का एक बयान और महागठबंधन में मची खलबली, सहयोगी दल हुए आहत

पटना। नए अध्यक्ष के स्वागत समारोह के दौरान कांग्रेसी नेताओं के बयान ने महागठबंधन का माहौल गर्म कर दिया है. महागठबंधन के सहयोगी कांग्रेस नेताओं के बयान से आहत नजर आ रहे हैं. दरअसल कांग्रेस के नेताओं ने सीट शेयरिंग के मसले पर नहीं झुकने और मजबूरी में समझौता करने की बात कह कर महागठबंधन के सहयोगी दलों पर सवाल खड़े कर दिए थे.

बिहार कांग्रेस के नए कार्यकारी अध्यक्ष श्याम सुंदर सिंह धीरज का बयान उनके सहयोगी दलों को चुभ गया है. वहीं, शुक्रवार को शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा ने भी कहा था कि बिहार कांग्रेस अब न तो याचक की भूमिका में रहेगी और न ही टिकट के मसले पर सहयोगियों के सामने झुकेगी. दोनों नेताओं के बयान पर महागठबंधन में खलबली मच गई. दरअसल नए अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष के सम्मान में सदाकत आश्रम में स्वागत समारोह का आयोजन किया गया था.

मदन मोहन झा

कार्यकर्ताओं के उत्साह से उत्साहित कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं ने सीट शेयरिंग में नहीं झुकने और मजबूरी में गठबंधन किए जाने की बात कहकर अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश जरुर की. लेकिन इस कोशिश ने उनके सहयोगी दलों को नाराज कर दिया. आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी की माने तो कांग्रेसी नेताओं को चुनाव से पहले ऐसे बयानों से बचना चाहिए.

कांग्रेस गठबंधन मजबूरी में कर रही है तो क्यों कर रही है ये कांग्रेस के नेता ही बता सकते हैं. इधर कांग्रेसी नेताओं के बयान से शरद यादव की पार्टी भी असहज हो गयी है. पार्टी के नेता उदय नारायण चौधरी ने कहा है कि विपक्ष का ध्यान अभी नीतीश कुमार और नरेन्द्र मोदी को सत्ता से हटाने पर होना चाहिए न कि सीट शेयरिंग और दूसरी बातों पर.

बिहार कांग्रेस के बदले तेवर ने सहयोगियों को बेचैन कर दिया है. अब सवाल ये उठ रहे हैं कि कांग्रेसी नेताओं के बयान से आहत सहयोगियों के रुख को देखकर कांग्रेस अपना स्टैंड बदलती है या फिर कांग्रेस वाकई बिहार में बदलाव के दौर में आ चुकी है.

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