वाशिंगटन। ट्रंप प्रशासन ने एक संघीय अदालत को बताया है कि एच4 वीजा धारकों के वर्क परमिट पर रोक लगाने पर निर्णय तीन माह के अंदर ले लिया जाएगा। एच4 वीजा एच-1बी वीजा धारकों के परिजन (पत्नी-पति और 21 साल से कम आयु के बच्चों) को दिया जाता है। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के शासनकाल में इस नियम का सबसे ज्यादा लाभ भारतीय अमेरिकियों मिला था। नियम के प्रभावी होने से सबसे ज्यादा असर भारतीय महिलाओं पर पड़ेगा।
आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय (डीएसएच) ने अपने नए हलफनामे में कोलंबिया के यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट को शुक्रवार को बताया कि वह रोजगार पाने की योग्यता होने की श्रेणी के रूप में एच-1बी गैर आव्रजकों के एच-4 परिजन को हटाने के प्रस्ताव पर ठोस और तेजी से प्रगति कर रहा है।
डीएचएस ने कहा कि नए नियम तीन माह के अंदर व्हाइट हाउस के ऑफिस ऑफ मैनेजमेंट ऑफ बजट(ओएमबी) को भेज दिए जाएंगे।
मंत्रालय ने अदालत से अनुरोध किया कि तब तक वह ‘सेव जॉब्स यूएस की ओर से दाखिल वाद पर अपने आदेश को स्थगित कर दे। ‘सेव जॉब्स यूएस अमेरिकी कर्मचारियों का संगठन है जिसका दावा है कि सरकार की इस प्रकार की नीति से उनकी नौकरियों पर असर पड़ा है। ओबामा प्रशासन के दौरान यह नीति तैयार की गई थी।
ट्रंप प्रशासन फिलहाल एच-1बी वीजा पॉलिसी की समीक्षा कर रहा है। उसका मानना है कि कंपनियां अमेरिकी कर्मचारियों के स्थान पर दूसरे को नौकरियां देने के लिए इस नीति का दुरुपयोग कर रही हैं।
ट्रंप प्रशासन सार्वजनिक तौर पर यह कह चुका है और अदालत में अवेदन में भी उसने स्पष्ट कहा है कि वह एच4 वीजा धारकों के वर्क परमिट को हटाना चाहता है।