लखनऊ। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के दो फाड़ हो जाने के बाद राजनीतिक समीकरण बिल्कुल बदल गया है. शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन कर लिया है. उनकी नई पार्टी का चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन भी कर दिया गया है. साथ ही उनकी पार्टी ने चुनाव आयोग से कार, मोटरसाइकिल या चक्र चुनाव चिन्ह की मांग की है. शिवपाल का दावा है कि वह 2019 लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे. साथ में उन्होंने यह भी कहा कि समान विचारधारा के करीब 40 पार्टियों से उनकी बातचीत हुई है.
इस बीच शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के 30 जिला और महानगरों के अध्यक्षों की लिस्ट जारी कर दी है. वे कानपुर स्थित अपनी पार्टी के स्थानीय कार्यालय खोलने के लिए यहां पहुंचे. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी की तरफ से मुलायम सिंह यादव को चुनाव लड़ने का ऑफर किया है. मैं चाहता हूं कि वे हमारी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ें.
पार्टी की तरफ से मुलायम सिंह को टिकट देने की बात कहकर शिवपाल ने अखिलेश की मुश्किलें बढ़ा दी है. शिवपाल के इस चाल से संदेश जा रहा है कि भले ही दिल्ली में अखिलेश के मंच से मुलायम सिंह ने उन्हें जीत का आशीर्वाद दिया हो, लेकिन नेताजी उनके साथ भी हैं. इसका फायदा यह होगा कि जो लोग वर्तमान में समाजवादी पार्टी और अखिलेश से थोड़े नाराज चल रहे हैं, उन्हें शिवपाल ने अपने पाले में करने का पास फेंक दिया है. आने वाले दिनों में हो सकता है कि समाजवादी पार्टी के कई नेता शिवपाल के समर्थन में खड़े हो जाएं.
कानपुर में शिवपाल ने दावा किया कि 2019 लोकसभा चुनाव में कन्नौज सीट पर उनकी ही जीत होगी. बता दें, वर्तमान में कन्नौज सीट से अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव सांसद हैं. हालांकि, अखिलेश पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि डिंपल यादव आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी. इसके बावजूद अपने गढ़ को बचाने के लिए अखिलेश को इस सीट पर ज्यादा मेहनत करने की जरूरत होगी. इसका असर उनके चुनाव प्रचार कार्यक्रम पर पड़ेगा और वे दूसरे सीटों पर कम ध्यान दे पाएंगे. कुल मिलाकर शिवपाल की रणनीति अखिलेश की सक्रियता कन्नौज में सीमित कर देने की होगी. इससे इंकार नहीं किया जा सकता है कि शिवपाल का संगठन पर पकड़ बहुत ज्यादा है.
शिवपाल यादव बार-बार इस बात को दोहरा रहे हैं कि उन्हें समान विचारधारा के 40 राजनीतिक दलों का समर्थन है. पिछले दिनों उन्होंने यह भी कहा था कि अगर उन्हें गठबंधन में शामिल होने का मौका मिलेगा तो वे इसके लिए तैयार हैं. गठबंधन की स्थिति अभी भी पूरी तरह साफ नहीं है. मामला सीट शेयरिंग पर अटका हुआ है. ऐसे में अगर शिवपाल की पार्टी गठबंधन में शामिल होती है तो वे 40 राजनीतिक दलों का समर्थन दिखाकर अपने लिए हैसियत के बराबर सीट की मांग सामने रख सकते हैं.
क्या उनकी पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन कर सकती है? इस सवाल का जवाब देते हुए शिवपाल ने कहा कि वे जन्मजात समाजवादी हैं. इसलिए, किसी भी सूरत में बीजेपी के साथ हाथ मिलाने का इरादा नहीं है. फिलहाल, उनका फोकस अपनी पार्टी को ज्याद ताकतवर और विशालकाय बनाने की है. इन्हीं वजहों से वे लगातार छोटे दलों के नेताओं से मिल रहे हैं और प्रदेश में घूम-घूम कर अपनी पार्टी का प्रचार कर रहे हैं.