लखनऊ/बुलंदशहर। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की गई है. बुलंदशहर जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर नरसेना थाने के तहत आने वाले सबदलपुर गांव में कुछ असामाजिक तत्वों ने ठाकुर (राजपूत) समाज के घरों के बाहर धमकी भरे पर्चे फेंके हैं, जिनमें ‘जय भीम ठाकुरों को बोलना ही होगा’ लिखा हुआ था. इस घटना के बाद गांव में तनाव बना हुआ है.
बताया जा रहा है कि सबदलपुर गांव में शुक्रवार की रात को ठाकुर समाज के लोगों के घरों के बाहर पर्चे फेंके गए थे. नरसेना के थाना प्रभारी अनिल कुमार ने आजतक से बताया, ‘कुछ लोग गांव में आपसी एकता को बिगाड़ना चाहते थे. हालांकि, जय भीम बोलने में कोई दिक्कत किसी को नहीं होनी चाहिए, लेकिन जिस तरह से पर्चे फेंके गए हैं और एक जाति विशेष को ऐसा बोलने के लिए कहा गया है, वह सही नहीं है.’
पुलिस का कहना है कि दलित और ठाकुर समुदाय के करीब पचास (28 ठाकुर और 22 दलित) लोगों ने हमें लिखित में दिया है कि इस घटना के बाद दोनों समुदाय के लोग आपसी सौहार्द बनाकर रखेंगे. उन्होंने बताया कि मामले में जांच हो रही है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि नाराज ठाकुर समाज के लोगों ने शनिवार को आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर थाने पर प्रदर्शन किया. हालांकि पुलिस ने ठाकुर समाज के लोगों को कार्रवाई की बात कहकर शांत कराया.
बुलंदशहर के एसएसपी के बी सिंह के पीआरओ ने बताया कि यह एक गंभीर मामला है और हम यह जानने के लिए जांच कर रहे हैं कि इसके पीछे कौन लोग हैं. इस तरह की हरकतों से सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है. जांच के बाद जो लोग भी दोषी हैं, उनके खिलाफ गंभीर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
पीआरओ ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि ठाकुर समाज के करीब दो दर्जन लोग शनिवार सुबह नरसेना पुलिस स्टेशन पहुंचे, जहां उन्होंने शिकायत दर्ज कराई. ठाकुर समाज के लोगों ने आरोप लगाया कि इसमें कहीं ना कहीं पर दलित समाज के लोग शामिल हैं.
वहीं, दूसरी तरफ घटना के बाद दलित समुदाय के भी करीब 50 पचास लोग पुलिस स्टेशन पहुंचे. उन सभी लोगों सफाई देते हुए कहा कि इस घटनाक्रम में उनका हाथ नहीं है. इसके बाद दोनों पक्षों को सुनने के बाद पुलिस ने मामले की उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सबदलपुर गांव में ठाकुर और दलित समाज के लोगों में पिछले कई महीनों से मतभेद चल रहा है. दलित समाज का आरोप था कि एक महीने पहले लूट की वारदात में ठाकुर समाज के लोगों ने उनके समाज के युवकों को बेगुनाह पकड़वा दिया था. वहीं, इस आरोप पर ठाकुर समाज के लोगों का कहना है कि कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है. सुबूत के आधार पर आरोपी पकड़े गए थे.
गौरतलब है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ समय से दलित और ठाकुर समाज के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. इसका नतीजा था कि 2017 में सहारनपुर जातीय हिंसा में झुलस चुका है. इसी साल 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान पश्चिम यूपी में कई जगह हिंसक आंदोलन हुए थे.