बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और आईसीसी के मौजूदा चेयरमैन शशांक मनोहर की गवाही के साथ तीन दिनों से चल रही बीसीसीआई-पीसीबी विवाद के सुनवाई का अंत हो गया. पीसीबी ने बीसीसीआई पर सहमति पत्र का सम्मान नहीं करने का आरोप लगाते हुए भारतीय बोर्ड से 447 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है.
इस एमओयू के अनुसार भारत और पाकिस्तान को 2015 से 2023 के बीच छह बायलेटरल सीरीज खेलनी थी. जिसके एवज में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने भारत के खिलाफ मुआवजे का दावा डाला है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक तीन सदस्यीय समिति ने अपना आदेश सुरक्षित रखा है क्योंकि दोनों पक्षों ने सिर्फ मौखिक तर्क दिए हैं. बीसीसीआई के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘‘अब लिखित जवाब देना होगा और इसके बाद पैनल अपना आदेश लिखेगा.’’
अधिकारी ने कहा, ‘‘जिस तरह जिरह हुई उससे हम खुश हैं. आज मनोहर की गवाही काफी ठोस थी. वह भारत के गवाह के रूप में पेश हुए थे, आईसीसी चेयरमैन के रूप में नहीं. यहां तक कि अन्य गवाहों ने हमारे मामले को मजबूत किया.’’
पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद से मंगलवार को जिरह हुई जिन्होंने इस दौरान पाकिस्तान के साथ बायलेटरल सीरीज नहीं खेलने के भारत के इनकार को उचित ठहराया.