गोरखपुर/लखनऊ। गोरखपुर के किशोर बलराम के अपहरण और हत्या में बदमाशों ने बर्बरता की सारी हदें पार कर दी थीं। जांच एजेंसियों के मुताबिक, हत्या से पहले बलराम को यातना दी गई थीं। दोनों हाथ पीछे उठाकर तोड़ दिए गए थे। गर्दन भी टूटी थी। सिर को निर्ममता से कूंचा गया था। हत्या के बाद शव सीमेंट की बोरी में ठूंस दिया था।
बोरी में डालने से पहले पैर को जोर देकर मोड़ा गया था। जब शव बोरे से निकाला गया तो एक बार पुलिस, क्राइम ब्रांच और एसटीएफ के लोगों की रूह कांप गई। कइयों की आंखों से आंसू निकल आए। फिलहाल, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साफ होगा कि किशोर की हत्या से पहले कितनी यातनाएं दी गईं थीं।
किशोर बलराम के अपहरण और हत्या में उसके गांव के आसपास के ही पांच लोगों के नाम सामने आए हैं। इसमें हसनगंज जंगलधूसड़ का एक मोबाइल विक्रेता भी शामिल है। मोबाइल विक्रेता ने ही फर्जी नाम, पते पर सिम दिया था। फिरौती मांगने में इसी सिम का इस्तेमाल किया गया था। पुलिस ने सबूतों के आधार पर मोबाइल विक्रेता समेत दो आरोपियों को हिरासत में ले लिया है।
इन्हीं की निशानदेही पर बलराम का शव बरामद किया गया। इन सबसे पूछताछ की जा रही है। तीन और आरोपियों की तलाश में ताबड़तोड़ दबिश दी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक अपहरण और हत्याकांड में नई उम्र के लड़के शामिल हैं। ज्यादातर बलराम व उसके परिवार से परिचित लग रहे हैं। तीन और आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पूरे मामले से पर्दा उठ सकेगा।
इस वारदात के पर्दाफाश में एसटीएफ की गोरखपुर इकाई और क्राइम ब्रांच भी लगी है। एसटीएफ पहले भागे हुए तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी करने में जुटी है। इसके लिए अलग-अलग टीमें काम कर रही हैं। एसटीएफ की टीम अपहरण के साथ पुरानी दुश्मनी और लेनदेन के विवादों की जांच कर रही है। फिलहाल, बलराम के माता और पिता से कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। वे दोनों इकलौते बेटे की मौत से गमगीन हैं। कुछ भी कह पाने की स्थिति में नहीं हैं।