नागपुर। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने विजयदशमी समारोह में कहा कि हमारा समाज भारत की अवधारणा से सहज भाव से उपजे जब स्व की भावना के सत्य को भूल गया और स्वार्थ प्रबल हो गए तो हम अत्याचार के शिकार हो गए. समाज में अपनी कमियां थी. शासकों ने तो किसी को भी नहीं छोड़ा. बाबर ने ना हिंदू को बख्शा, ना मुस्लिम को बख्शा.
देश में हालिया दौर में हुए आंदोलनों का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ कहने वालों का संविधान में यकीन नहीं है. देश में छोटी-छोटी बातों पर आंदोलन होने लगे हैं. गलत बातों का सोशल मीडिया पर प्रचार हो रहा है. शहरी नक्सलवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा कि नक्सलवाद हमेशा शहरी ही रहा है.
पाकिस्तान
परोक्ष रूप से पाकिस्तान के संदर्भ में मोहन भागवत ने कहा कि सुरक्षा को लेकर हम सजग हैं. सरकार किसी की भी हो हम किसी से भी शत्रुता नहीं करते. लेकिन बचने के लिए उपाय तो करना पड़ेगा. वहां परिवर्तन के बाद भी कुछ बदलता नजर नहीं आ रहा है. अपनी सेना को संपन्न बनाना होगा ताकि हमारी सेना का मनोबल कम न हो, संतुलन को रखकर काम करना होगा. इसी कारण संपूर्ण विश्व में हाल में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है. लेकिन हम विश्वास पैदा करने के लिए हम गोली का जवाब गोली से देने की हिम्मत रखते हैं.
इसके साथ ही कहा कि सीमा पर सुरक्षा कर रहे परिवारों की रक्षा का दायित्व हमारा है, उनकी चिंता कौन करेगा, शासन ने कदम तो बढ़ाए लेकिन गति बढ़ाने की जरूरत है. ये विश्वास पैदा होना चाहिए जवानों में कि हम यहां रक्षा कर रहे हैं लेकिन हमारे परिवार की रक्षा शासन कर लेगा.
मोहन भागवत ने कहा कि शासन के साथ समाज का भी कुछ दायित्व है. हमें सोचना होगा कि क्या हमने अपना देश सरकार को सौंप दिया है? ऐसा इसलिए क्योंकि पहला दायित्व तो हमारा है, सरकार को तो हम ही चुन कर भेजते हैं. सीमा केवल भू-सीमा नहीं होती, सागरी सीमा भी है, आजकल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका महत्व भी बढ़ गया है. सभी छोटे-छोटे द्वीपों की रक्षा होनी चाहिए क्योंकि भारत के सामर्थ्य को कम करने के लिए लोगों ने गले के चारों ओर फांस बनाने की कोशिश तो कर ही ली है.
कैलाश सत्यार्थी मुख्य अतिथि
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित और सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वार्षिक ‘‘विजयादशमी’’ समारोह में अतिथि हैं. कार्यक्रम का आयोजन नागपुर के रेशमीबाग मैदान में आयोजित किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि मोहन भागवत ने पिछले वर्ष रोहिंग्या संकट, गोरक्षा, जम्मू-कश्मीर और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए थे.