नई दिल्ली। कोरोना ने यू-टर्न लिया है, इस बार यह ‘यूके स्ट्रेन’ का वायरस है। लेकिन दोबारा लौटकर आया यह वायरस पहले से ज्यादा संक्रामक है, यानि ‘सुपर स्प्रैडर’। इसका मतलब है यह तेजी से लोगों को संक्रमित करता है और सबको अपनी चपेट में लेता है। डॉक्टरों की माने तो जनवरी महीने में एक संक्रमित मरीज दो लोगों को संक्रमित कर रहा था, वहीं फरवरी में एक व्यक्ति से करीब 5 लोग बीमार होने लगे। जबकि मार्च आते आते एक मरीज तकरीबन 7 से 8 लोगों को संक्रमित कर रहा है। यह बेहद चौंकाने वाला तथ्य है।
इसे ऐसे समझिए कि पहले अगर घर में कोई एक कोरोना वायरस से संक्रमित होता था तो उसकी वजह से घर के एक या दो ही लोग संक्रमित होते थे, लेकिन अब पूरे परिवार के लोगों को उस एक संक्रमित से संक्रमण हो रहा है। यानि इसके संक्रमण की रफ्तार बहुत तेज है।
डॉ समीर माहेश्वरी (एमबीबीएस, एमडी मेडिसिन) इस बारे में और ज्यादा स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि वायरस का नया म्यूटेशन पहले से ज्यादा संक्रामक है। यह एक व्यक्ति से ज्यादा लोगों में फैल रहा है, अगर इसे ‘सुपर स्प्रैडर’ कहें तो बिल्कुल गलत नहीं होगा।
डॉ समीर ने बताया कि इसे यूके से आया स्ट्रेन बताया जा रहा है, हालांकि अभी पूरे शहर से 90 से ज्यादा सेंपल जांच के लिए दिल्ली भेजे गए हैं, यह पता लगाने के लिए कि यह यूके बेस्ड स्ट्रेन है या नहीं।
अब सिम्पटम्स से दे रहा धोखा
डॉक्टरों के मुताबिक पहले सर्दी, खांसी, बुखार और सूंघने की क्षमता में कमी के साथ ही मुंह में स्वाद नहीं आने जैसे लक्षण शामिल थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब अपने लक्षण बदलकर भी यह वायरस धोखा दे रहा है। विशेषज्ञों ने बताया कि अब सर्दी, खांसी और बुखार के साथ कमजोरी, पेद दर्द और लूज मोशन भी इसके लक्षणों में शामिल हो गया है। ऐसे में अगर इनमें से कोई भी लक्षण नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
बुखार नहीं, कमजोरी है तो भी ‘कोरोना’
दरअसल, वायरस के नए स्ट्रेन के बारे में पता लगाने के लिए हाल ही में 90 सेंपल जांच के लिए दिल्ली भेजे गए, अब इसके बाद 117 सेंपल शुक्रवार को भेजे गए हैं। इससे पता चल सकेगा कि नया वायरस यूके का स्ट्रेन है या नहीं। क्योंकि डॉक्टरों के मुताबिक जिन्हें बुखार नहीं है, लेकिन कमजोरी है उन्हें भी कोविड निकल रहा है।
बच्चों में लंग्स इन्वॉल्वमेंट नहीं
जहां तक बच्चों की बात है तो अब बच्चों में भी कोरोना हो रहा है, हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों में बडों की तरह लंग्स इन्वॉल्वमेंट नहीं है। लेकिन बडों में जिन्हें हार्ट, डायबिटीज आदि की दिक्कतें हैं उन्हें यह लंग्स में भी इन्फैक्ट कर रहा है। बच्चों में कम से कम यह दिक्कत नहीं है।
एक निजी अस्पताल में पिछले एक माह में 18 वर्ष से कम उम्र के 10 बच्चे व युवा कोविड संक्रमण के कारण भर्ती किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक पिछले एक सप्ताह में इस उम्र के 96 संक्रमित मिले हैं।
दिल्ली में यूके स्ट्रेन की जांच के लिए भेजे जाने वाले 117 सैंपलों में 15 साल से कम्र वाले 17 बच्चों के सैंपल भी खासतौर पर भेजे गए हैं। यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग ने कांटैक्ट ट्रेसिंग बढ़ा दी है। जो लोग संक्रमित मिल रहे हैं उनके संपर्क में आए 15 लोगों की जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनके माध्यम से अन्य किसी को संक्रमण तो नहीं फैला।
क्या है इंदौर की स्थिति?
इधर मध्यप्रदेश के सबसे बडे शहर इंदौर की स्थिति लगातार नाजुक बनती जा रही है। यहां शहर के 12 ऐसे बडे क्षेत्र हैं जहां संक्रमितों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है। आलम यह है कि पिछले कुछ दिनों से रोजाना शहर में 200 से ज्यादा संक्रमित मिल रहे हैं। विजय नगर, सुखलिया और सुदामा नगर तो ऐसे क्षेत्र हैं जहां संक्रमित मरीजों की संख्या एक हजार से ज्यादा निकल गई है। स्थिति यह है कि मध्यप्रदेश शासन नाइट कर्फ्यू लगाने के बारे में मंगलवार को निर्णय ले सकता है, क्योंकि इंदौर के बाजारों में लगातार लोगों की लापरवाही बढती जा रही है।