कपड़े का ब्रांड मान्यवर हाल ही में जारी किए गए अपने एक विज्ञापन में हिंदू परंपराओं औऱ रीति-रिवाजों को ‘रुढ़िवादी सोच’ वाला दिखाकर विवादों में घिर गया है। विज्ञापन में आलिया भट्ट हैं इसमें विवाह के दौरान होने वाले ‘कन्यादान’ को एक दमनकारी परंपरा के तौर पर दिखाया गया है और उसकी जगह ‘कन्यामान’ को एक विकल्प के तौर पर सुझाया गया है।
मान्यवर ने दावा किया कि इससे परंपराओं के बारे में प्रतिशील तरीकों को सोचने को बढ़ावा दे रहा है। जाहिर है, ‘कन्यामान’ शादी की रस्मों को एक नया मोड़ देता है, जिसके अंतर्गत दुल्हनों को ‘देने’ के बजाय उनका सम्मान करने के विचारों को बढ़ावा दिया गया है।
कन्यादान के हिंदू अनुष्ठान के खिलाफ मान्यवर के अभियान की सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना की जा रही है। सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा कि बार-बार केवल हिंदू रीति-रिवाजों और परंपराओं को निशाना बनाया जाता है, जबकि दूसरे धर्मों के वास्तविक दमनकारी रीति-रिवाजों को ब्रांडों से मुफ्त पास मिलता है।
सोशल मीडिया पर लोगों ने बार-बार सेलेक्टिव तरीके से हिंदू धर्म को निशाना बनाए जाने की कड़ी आलोचना की, क्योंकि हिंदू धर्म के अलावा कंपनियाँ दूसरों को ऐसे ही जाने देती हैं।
Kanyadaan is “Patriarchal” but Giving the bride, Nikah-Mehr are all “Woke” !! Right @Manyavar_ ? pic.twitter.com/iLgyL89Kqd
— Yo Yo Funny Singh 🇮🇳 (@moronhumor) September 18, 2021
Woke Alia is back.#Aliabhatt #Kanyadaan pic.twitter.com/hOOJ4gparE
— The Jaipur Dialogues (@JaipurDialogues) September 18, 2021
सोशल मीडिया यूजर्स ने इस बात को लेकर खेद जताया कि निकाह-हलाला और ट्रिपल तालक जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ पर्याप्त जागरूकता नहीं फैलाई जाती है, लेकिन ब्रांडों ने हिंदू परंपराओं के खिलाफ धर्मयुद्ध शुरू किया है।
Woke feminism by drugwood to reform Hinduism. But total silence on cult of Halala, TTT, Polygamy, Iddat, Child marriage that views women as property@aliaa08 is probably inspired by her women-empowerment champ daddy to give gyan on Kanya ka Maanpic.twitter.com/HwDUuvHlmN
— Gems of Bollywood (@GemsOfBollywood) September 18, 2021
दूसरे यूजर्स ने कंपनी के मूर्खतापूर्ण विज्ञापन पर भी नाराजगी जताई। क्योंकि असलियत में हिंदू महिलाओं ने जीवन के हर क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की हैं। यही बॉलीवुड बेटियों को ‘पराया धन’ बताते हुए फ़िल्में बनाता है और फिर इसे हिन्दू धर्म से जोड़ कर ‘समाज सुधारक’ की भूमिका में आ जाता है।
Indian women aced every field of life from technology, medicine, sports to politics ..
Thousands stories can showcase their achievements and inspire those who are struggling yet ..
But content creators believe that role reversal in Cadbury ad or Kanyamaan is real empowerment ..
— The Brain Doctor (@DNeurosx) September 19, 2021
“Kanyadaan to kanyamaan because we are all sooo empowdered vroooo”
what a crazed world this is!
Rofl !!
Pagleton ki kami nahin hai iss sansar mein
Ek dhoondho jhund ke jhund milenge https://t.co/pqnV44MsU2— Anshika Shukla (@anshikashukla_) September 18, 2021
सोशल मीडिया यूजर्स ने आलिया के बहाने भट्ट परिवार के उस इतिहास पर भी प्रकाश डाला, जब आलिया के पिता महेश भट्ट ने पूजा भट्ट को लेकर कहा था कि अगर वह उनकी बेटी नहीं होती तो वह उनसे शादी कर लेते।
Alia Bhatt’s father wanted to marry his own daughter and Alia’s elder sister and she is here reforming kanyadan. pic.twitter.com/ptAcVjFTM7
— Yosha🍃 (@Blackdrug_) September 19, 2021
हालाँकि, ये कोई पहली बार नहीं है, जब किसी ब्रांड ने अपने मार्केटिंग के जरिए हिंदू रीति-रिवाजों पर कुठाराघात करने की कोशिश की हो। हाल के दिनों में कई ब्रांड विशेष रूप से तनिष्क को उसकी सक्रियता के लिए गंभीर प्रतिक्रिया मिली है।
खास बात यह है कि कंपनी ने इस विज्ञापन के लिए काम पर रखा तो किसे, एक बॉलीवुड अभिनेत्री को। जबकि बॉलीवुड खुद शोषण और महिलाओं के ऑब्जेक्टिफिकेशन के लिए कुख्यात है। उल्लेखनीय है कि ब्रांड हिंदू धर्म और परंपराओं को ही बार-बार इसलिए निशाना बनाते हैं, क्योंकि वो स्पष्ट रूप से अन्य धर्मों की समस्याग्रस्त प्रथाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने से डरते हैं।
लेकिन मान्यवर के खिलाफ सोशल मीडिया पर लोगों ने जैसी प्रतिक्रियाएँ दी हैं, उससे स्पष्ट है कि हिंदू समुदाय धर्म पर बाहरी हमलों से नाखुश है। अगर आप विज्ञापन को ध्यान से देखेंगे तो पाएँगे कि पूरे विज्ञापन को विचित्र तरीके से बनाया गया। जबकि ब्रांड को भी यह पता है कि वो जिस तरह का सुझाव दे रहे हैं वह पूरी तरह से निंदनीय है और इसका कोई मतलब नहीं है।
वे पूरी तरह से जानते हैं कि कोई भी कपड़ों के ब्रांड की सिफारिश के आधार पर प्राचीन रीति-रिवाजों को नहीं बदलेगा और फिर भी, उन्हें वास्तव में परवाह नहीं है क्योंकि यह केवल एक मार्केटिंग नौटंकी के बारे में है और कुछ नहीं। अन्य धर्मों के रीति-रिवाजों पर उनकी चुप्पी जो वास्तव में महिलाओं को नुकसान पहुँचाती है, उनके प्रोपेगंडा के बारे में बहुत कुछ बताती है।