यूक्रेन में रूसी हमले के बीच ये सवाल काफी अहम हो गया है कि भारत किसके पक्ष में है. भारत ने अब तक इस मामले पर अपनी निष्पक्षता बरकरार रखी है. एक तरफ जहां अधिकतर देश रूस के हमले की निंदा कर रहे हैं, भारत ने अभी तक रूसी हमले के खिलाफ कुछ नहीं बोला है. इसी बीच अमेरिका में भी अब ये सवाल खड़े होने लगे हैं कि भारत अमेरिकी पाले में है या रूस के समर्थन में है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से गुरुवार को ये सवाल भी किया गया जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद पैदा हुए संकट पर अमेरिका भारत के साथ बातचीत करेगा.
कहा जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति विभाग, विदेश विभाग और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से लेकर विभिन्न स्तरों पर बाइडन प्रशासन यूक्रेन के संकट पर भारत से पूर्ण समर्थन की मांग कर रहा है और कई स्तरों पर भारतीय समकक्षों से बात की जा रही है.
इसी बीच अमेरका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर यूक्रेन संकट पर बातचीत की है. ब्लिंकन ने भारतीय विदेश मंत्री से बातचीत में कहा कि रूसी हमले की निंदा करने, यूक्रेन से रूसी सैनिकों की तत्काल वापसी और युद्धविराम का आह्वान करने के लिए एक मजबूत सामूहिक प्रतिक्रिया की आवश्यकता है.
Appreciate the call from @SecBlinken.
Discussed the ongoing developments in Ukraine and its implications.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 24, 2022
गुरुवार तड़के व्लादिमीर पुतिन ने किया था यूक्रेन पर सैन्य हमले का ऐलान
गुरुवार को एक टेलीविजन संबोधन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में रूसी सैन्य अभियान शुरू करने की घोषणा की थी. इसके बाद रूसी सैनिक यूक्रेन में तीन तरफ से घुसने लगे और गोलीबारी की आवाजें आने लगीं. अपने संबोधन में पुतिन ने दूसरे देशों को भी चेतावनी भी दी कि यदि उन्होंने रूसी सैन्य अभियान में हस्तक्षेप करने का प्रयास किया तो उन्हें तत्काल और करारा जवाब मिलेगा.
यूक्रेन पर रूसी हमले से भारत धर्म संकट में
यूक्रेन पर रूसी हमले के बीच भारत धर्म संकट में पड़ गया है कि वो किसका पक्ष ले. हालांकि, भारत पहले भी रूस संबंधी मामलों में निष्पक्ष रहा है लेकिन अब भारत के लिए इस मुद्दे पर तटस्थ बने रहना आसान नहीं रह गया है. रूस के साथ भारत के ऐतिहासिक मित्रता रही है. भारत रूस के साथ सबसे मजबूत रक्षा संबंध रखता है.
साथ ही, पिछले डेढ़ दशक में अमेरिका के साथ भी भारत की रणनीतिक साझेदारी अभूतपूर्व रूप से बढ़ी है. इधर, चीन की बढ़ती आक्रमकता को रोकने के लिए भी भारत को अमेरिका के साथ की जरूरत है. अमेरिका इस मामले पर लगातार भारत के पक्ष में बोलता भी रहा है.
भारत के रुख पर नाराज अमेरिका
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर सभी पक्षों से तनाव कम करने की अपील की है. भारत कहता रहा है कि कूटनीतिक तरीके से ही इस मसले को हल किया जा सकता है. एक तरफ जहां अधिकतर देश यूक्रेन में रूसी हमले को उसकी संप्रभुता का उल्लंघन मानकर रूस की आलोचना कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ भारत ने सुरक्षा परिषद में न तो रूस की आलोचना की है और न ही यूक्रेन के संप्रभुता की बात की है.
एक अमेरिकी अधिकारी से पत्रकारों ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के रुख पर सवाल भी किया जिसे उन्होंने टाल दिया.
मोदी की पुतिन से फोन पर बातचीत
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से टेलीफोन पर बातचीत भी की. इस दौरान उन्होंने भारत-रूस के पुराने संबंधों पर बातचीत की. उन्होंने पुतिन से कहा कि रूस और नेटो समूह के बीच मतभेदों को केवल बातचीत के जरिए ही हल किया जा सकता है.
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि पुतिन से बातचीत में प्रधानमंत्री ने हिंसा को तत्काल समाप्त करने की अपील की और राजनयिक वार्ता के लिए सभी पक्षों से ठोस प्रयास करने का आह्वान किया.
भारत में यूक्रेन के राजदूत आइगर पोलिखा ने गुरुवार को कई बार भारत से अपील की कि एक विश्व शक्ति होने के नाते भारत उनका समर्थन करे. उन्होंने पीएम मोदी से हस्तक्षेप की अपील करते हुए कहा कि रूस के साथ भारत के अच्छे संबंध है और भारत सरकार स्थिति को नियंत्रित करने में बड़ी भूमिका निभा सकती है.
अमेरिका की तरह यूक्रेन ने भी हालिया स्थिति पर भारत के रुख पर नाराजगी जताई है. आइगर पोलिखा ने कहा, ‘भारत कहता है कि वो कीव (यूक्रेन की राजधानी) की स्थिति पर नजर बनाए हुए है. लेकिन हम भारत के रुख से बेहद नाराज हैं. हम इस मामले में भारत से एक मजबूत समर्थन की अपील करते हैं. इस मामले में भारत के प्रधानमंत्री को रूसी राष्ट्रपति और हमारे राष्ट्रपति को संबोधित कर सकते हैं….यही वक्त की सच्चाई है.’