गोरखपुर। बिना मान्यता के राज नर्सिंग कालेज में छात्रों का प्रवेश लेकर लालसाजी करने वाले संचालक डा. अभिषेक यादव चार डाक्टरों व उनके तीन सहगोगियों पर कोतवाली पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की है।जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश की अनुमति मिलने के बाद प्रभारी निरीक्षक कोतवाली ने आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर डा. अभिषेक की पत्नी समेत चार आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। शनिवार को उन्हें जेल भेज दिया गया।
यह है मामला
एसपी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि राज नर्सिंग एंड पैरामेडिकल कालेज के संचालक डा. अभिषेक यादव ने कूटरचित दस्तावेज कर शासन से मान्यता मिलने की जानकारी देकर नर्सिंग कालेज में छात्र-छात्राओं का प्रवेश ले लिया। शिकायत पर शासन के अनु सचिव ने जांच की तो पता चला कि शासना के जिस आदेश का हवाला देकर डा. अभिषेक व उनके सहयोगियों ने प्रवेश लिया है वह फर्जी है।अनु सचिव ने कोतवाली थाने में राज नर्सिंग कालेज के संचालक पर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर जालसाजी करने का मुकदमा दर्ज कराया था।
जालसाजी की जानकारी होने पर ठगी के शिकार छात्रों के स्वजन ने भी तहरीर दी थी। कालेज पर ताला लगाने के साथ ही अधिकारियों ने आरोपितों के खिलाफ पिपराइच थाने में भी मुकदमा दर्ज कराया।छानबीन करने पर पता चला कि कोतवाली दुर्गाबाडी निवासी डा. अभिषेक यादव उसकी पत्नी डा. मनीषा यादव, शाहपुर के बशारतपुर में रहने वाली बहन डा. पूनम यादव, अपने साथी शक्तिनगर निवासी डा. सी प्रसाद उर्फ चौथी, बस्ती जिले के लालगंज, खोरिया निवासी शोभितानंद यादव, गुलरिहा थानाक्षेत्र के करमहा निवासी श्यामनरायण मौर्य व मोगलहा निवासी विशाल त्रिपाठी के साथ मिलकर यह गिरोह चला रहे हैं।
यह हुए गिरफ्तार
शुक्रवार की रात प्रभारी निरीक्षक कोतवाली अजय कुमार मौर्य ने आरोपितों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा दर्ज कराने के साथ ही डा. मनीषा यादव, डा. पूनम यादव, श्यामनारायण मौर्य व शोभितानंद को गिरफ्तार कर लिया। मुख्य आरोपित डा. अभिषेक यादव लखनऊ कारागार में पहले से निरुद्ध है।अन्य आरोपितों की तलाश चल रही है। पकड़े गए आरोपितों के खिलाफ कोतवाली थाने में कूटरचित दस्तावेज तैयार कर जालसाजी करने और धमकी देने के 14-14 मुकदमें दर्ज हैं।सभी मुकदमें वर्ष 2015 में दर्ज हुए थे जिसमें पुलिस ने एफआर (अंतिम रिपोर्ट) लगा दिया था। डा. अभिषेक यादव के खिलाफ कोतवाली व पिपराइच थाने के अलावा लखनऊ में मुकदमा दर्ज होने के बाद सभी मुकदमों की छानबीन शुरू हुई तो पुलिस ने वर्ष 2015 में दर्ज हुए मुकदमों की फाइल भी खोल दी। जांच में आरोप की पुष्टि होने पर कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट भेजने के साथ ही गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा दर्ज करा दिया।