तो 8 साल तक नहीं लड़ पाएंगे चुनाव? बंगले से भी होंगे बेदखल; राहुल गांधी के पास क्या विकल्प

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी अब संसद के सदस्य नहीं हैं। राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत द्वारा वर्ष 2019 के मानहानि के एक मामले में सजा सुनाये जाने के बाद शुक्रवार को लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहरा दिया गया। राहुल गांधी केरल की वायनाड संसदीय सीट से सांसद थे। लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि उनकी अयोग्यता संबंधी आदेश 23 मार्च से प्रभावी होगा।

अब सवाल उठता है कि राहुल गांधी के पास और क्या विकल्प बचे हैं? राहुल गांधी सांसदी जाने के बाद अब क्या कर सकते हैं। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि राहुल गांधी दोषी ठहराए जाने के साथ “अपने आप ही” अयोग्य हो गए थे। वहीं अन्य लोगों का कहना है कि अगर वह सजा को पलटने में कामयाब हो जाते हैं तो कार्रवाई को रोका जा सकता है।

अदालत ने राहुल गांधी को मानहानि और उसकी सजा से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 के तहत दोषी करार देकर सजा सुनाने के बाद उन्हें जमानत भी दे दी। अदालत ने साथ ही उनकी सजा के अमल पर 30 दिन की रोक लगा दी, ताकि कांग्रेस नेता उसके फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकें।

सूरत कोर्ट के आदेश के आधार पर, लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी को अयोग्य घोषित कर दिया है और उनके निर्वाचन क्षेत्र को खाली घोषित कर दिया है। चुनाव आयोग अब इस सीट के लिए विशेष चुनाव की घोषणा कर सकता है। राहुल गांधी को मध्य दिल्ली में अपना सरकारी बंगला भी खाली करने के लिए कहा जा सकता है। राहुल गांधी अब इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।

वहीं कांग्रेस नेताओं ने इस कदम की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा कि केवल राष्ट्रपति ही चुनाव आयोग के परामर्श से सांसदों को अयोग्य ठहरा सकते हैं। हालांकि बीजेपी इससे सहमत नहीं है। जाने-माने वकील और बीजेपी सांसद महेश जेठमलानी ने NDTV को बताया, “कानून के मुताबिक, वह अयोग्य हैं, फैसले के बारे में स्पीकर को बताना होता है। लेकिन आज की तारीख में वह अयोग्य हैं।”

तो अगले आठ वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे राहुल

अगर किसी उच्च न्यायालय द्वारा फैसला रद्द नहीं किया जाता है, तो राहुल गांधी को अगले आठ वर्षों तक चुनाव लड़ने की भी अनुमति नहीं दी जाएगी। राहुल गांधी की टीम के अनुसार, कांग्रेस नेता इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की योजना बना रहे हैं। अगर सजा के निलंबन और आदेश पर रोक की अपील वहां स्वीकार नहीं की जाती है, तो वे सुप्रीम कोर्ट तक अपना रास्ता अपना सकते हैं।

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