एक-दो नहीं, पूरे 32 जामताड़ा… देश के 9 राज्य बन रहे साइबर क्राइम का गढ़

नई दिल्ली। दिल्ली से लेकर आंध्र प्रदेश और गुजरात से लेकर असम तक… देश के 9 राज्यों में तीन दर्जन से ज्यादा गांव और शहर ऐसे हैं जो साइबर क्राइम का गढ़ बन गए हैं. अब तक झारखंड के जामताड़ा को ही साइबर क्राइम का गढ़ माना जाता था. लेकिन अब सरकार ने जो बताया है कि देश में एक दो नहीं, बल्कि जामताड़ा जैसे तीन दर्जन से ज्यादा जामताड़ा हैं.

सरकार के मुताबिक, देश के 9 राज्यों- हरियाणा, दिल्ली, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश में साइबर क्राइम के हॉटस्पॉट हैं.

कहां-कहां हैं हॉटस्पॉट?

1. हरियाणाः मेवात, भिवानी, नूह, पलवल, मनोटा, हसनपुर, हथन गांव.

2. दिल्लीः अशोक नगर, उत्तम नगर, शकरपुर, हरकेश नगर, ओखला, आजादपुर.

3. बिहारः बांका, बेगूसराय, जमुई, नवादा, नालंदा, गया.

4. असमः बारपेटा, धुबरी, गोलपाड़ा, मोरिगांव, नागांव.

5. झारखंडः जामताड़ा, देवघर.

6. पश्चिम बंगालः आसनसोल, दुर्गापुर.

7. गुजरातः अहमदाबाद, सूरत.

8. उत्तर प्रदेशः आजमगढ़.

9. आंध्र प्रदेशः चित्तूर.

कौन हैं साइबर अटैकर्स?

न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इन राज्यों में बैठकर साइबर क्राइम करने वाले ज्यादातर लोग भारत से बाहर के हैं. ये लोग चीन, पाकिस्तान और तुर्की जैसे देशों से आए हैं.

सरकार कैसे रख रही नजर?

10 जनवरी 2020 को गृह मंत्री अमित शाह ने एक पोर्टल लॉन्च किया था. इसपर जाकर साइबर क्राइम की शिकायत की जा सकती है.

गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को बताया कि इस पोर्टल पर अब तक 20 लाख से ज्यादा शिकायतें आ चुकी हैं, जिनके आधार पर 40 हजार एफआईआर दर्ज की गईं हैं.

उन्होंने बताया कि पोर्टल के अलावा एक हेल्पलाइन नंबर ‘1930’ भी जारी किया गया है, जो देशभर में 250 से ज्यादा बैंकों से कनेक्ट है. साइबर धोखाधड़ी होने पर इस पर कॉल कर शिकायत दर्ज करवा सकते हैं.

उन्होंने बताया कि साइबर फ्रॉड की जल्दी रिपोर्टिंग होने के कारण साइबर अपराधियों से 235 करोड़ रुपये की रिकवरी की जा चुकी है. ये रकम 1.33 लाख से ज्यादा लोगों से धोखाधड़ी कर जुटाई गई थी.

अब कहानी जामताड़ा की…

1. कौन है मास्टरमाइंड?

– सीताराम मंडल. बेरोजगार पिता का बेरोजगार बेटा था. 2010 में काम की तलाश में मुंबई गया. वहां उसने रेलवे स्टेशन से लेकर सड़क किनारे लगने वाले ठेलों पर काम किया. बाद में उसकी जॉब कॉल सेंटर में लग गई और यहीं से उसकी जिंदगी बदल गई.

– 2012 में सीताराम मंडल जामताड़ा लौट आया. यहां आकर उसने साइबर ठगी करना शुरू किया. उसके ठगी करने का तरीका भी अलग था. वो सीरीज के हिसाब से मोबाइल नंबर बनाता था और कॉल करता था. फिर लोगों से डेबिट या क्रेडिट कार्ड का नंबर पूछता था और ओटीपी मांगता था. ओटीपी डालते ही लोगों के अकाउंट से पैसे उसके पास आ जाते थे.

– 2016 में जामताड़ा पुलिस ने जब उसे पकड़ा तो उसके अकाउंट में 12 लाख रुपये से ज्यादा मिले. वो दो पक्के घर बना चुका था. अपनी दोनों बहनों की अच्छे से शादी कर चुका था. उसके पास स्कॉर्पियो गाड़ी भी थी. पुलिस ने उसके पास से 7 स्मार्टफोन और 15 सिम कार्ड भी बरामद किए थे.

2. क्या है ठगी का तरीका?

– जामताड़ा के ज्यादातर गांवों में लोगों को ठगने का खेल चलता है और चल रहा है. ये लोग फर्जी आईडी की मदद से सिम कार्ड खरीदते हैं.

– दो लोग साथ में मिलकर ठगी करता है. एक फोन कॉल करता है और दूसरा सारी डिटेल भरकर चूना लगाता है. सिर्फ एक फोन कॉल के जरिए ही ये लोग हजारों रुपये की चपत लगा देते हैं.

3. जामताड़ा कैसे बना साइबर ठगों का गढ़?

– मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 70 और 80 के दशक में जामताड़ा ट्रेन लूट और डकैती के लिए बदनाम था. ये साइबर ठगों का गढ़ तब बना जहां मोबाइल फोन का चलन बढ़ा.

– 2004 और 2005 के बाद भारत में मोबाइल फोन का चलन बढ़ गया था. इस कारण ठगी और लूट करने के लिए अपराधियों ने नया तरीका ढूंढा.

4. नेटफ्लिक्स पर आ चुकी है सीरीज

– 2020 में जामताड़ा पर नेटफ्लिक्स पर वेब सीरीज भी आ चुकी है. इसके दो सीजन अब तक आ चुके हैं. इसमें जामताड़ा और वहां के साइबर अपराधियों की कहानी और उनके तरीकों के बारे में डिटेल में बताया गया है.

– इस सीरीज में ये भी दिखाया गया था कि कैसे वहां के साइबर ठगों को राजनेताओं का भी साथ मिलता है. और सब मिलकर भोले-भाले लोगों को ठगने का काम करते हैं.

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