न नाम बदलने का रौब चला, न आपत्ति का फर्क… अमित शाह ने LAC से चीन को दिए 5 सख्त संदेश

”अब वह समय बीत गया है, जब कोई भारत की सीमा पर अतिक्रमण कर सकता था. अब कोई भी इसकी क्षेत्रीय अखंडता पर बुरी नजर डालने की हिम्मत तक नहीं कर सकता, न ही कोई सुई की नोक जितनी जमीन ले सकता है…”

चीन ने अरुणाचल में स्थानों का नाम बदला, फिर शाह के दौरे पर जताई आपत्ति

चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है. उसने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के 11 स्थानों के नाम बदलने का ऐलान किया था. इन 11 स्थानों में दो भूमि क्षेत्र, दो रिहायशी इलाके, पांच पर्वती चोटियां और दो नदियां शामिल हैं. चीन ने पिछले 5 साल में तीसरी बार ऐसा किया. उसने 2021 में 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे.

हालांकि, भारत पहले भी अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों के नाम बदलने के चीन के कदम को खारिज कर चुका है. भारत का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा. अरुणाचल प्रदेश के नाम बदल देने से तथ्य नहीं बदलेगा.

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चीन ने अमित शाह के अरुणाचल दौरे से पहले आपत्ति भी जताई थी. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था, चीन भारत के गृह मंत्री की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा का दृढ़ता से विरोध करता है और क्षेत्र में उनकी गतिविधियों को बीजिंग की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन मानता है.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने अमित शाह के दौरे से जुड़े सवाल के जवाब में कहा था, ‘जंगनान चीन का क्षेत्र है. भारतीय अधिकारी की जंगनान यात्रा चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन करती है और सीमा की स्थिति और शांति के लिए अनुकूल नहीं है.’ चीन इससे पहले भी भारतीय नेताओं के अरुणाचल दौरे पर सवाल उठाता रहा है.

अमित शाह ने LAC से चीन को दिया सख्त जवाब

गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी इस यात्रा से अरुणाचल प्रदेश में चीन के मंसूबों का जवाब है क्योंकि यह उसी क्षेत्र में है जिस पर चीन आए दिन अपना दावा करता है. शाह ने अपने दौरे पर सीमावर्ती किबिथू गांव से वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने चीन का नाम लिए बिना सख्त संदेश भी दिया.

1- अमित शाह ने कहा, आज पूरा देश निश्चिंत होकर सो रहा है. इसकी वजह हमारी सेनाओं का पराक्रम है. इन्हीं की वजह से कोई हमारी सीमा पर आंख उठाकर नहीं देख सकता. आज हम गर्व के साथ कहते हैं कि वो जमाने चले गए, जब भारत की भूमि पर कोई अतिक्रमण कर सकता था, अब कोई सुई की नोक के बराबर भी जमीन पर कोई अतिक्रमण नहीं कर सकता. 

2- उन्होंने कहादेश की सीमाओं की रक्षा करने वाले सुरक्षा बलों की वजह से अब कोई भी भारत पर बुरी नजर तक नहीं डाल सकता है. 1962 में जो भी इस जमीन पर कब्जा करने आया, उन्हें यहां रहने वाले देशभक्तों की वजह से वापस लौटना पड़ा. 

3- शाह ने कहा, हमारी नीति है कि कोई भी हमारी सीमाओं और हमारी सेना के सम्मान को चुनौती नहीं दे सकता है. 

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4- गृह मंत्री ने कहा, पहले लोग यहां से लौटते थे, तो कहते थे कि वे देश के आखिरी गांव की यात्रा करके आए हैं, लेकिन मोदी सरकार ने इस धारणा को बदल दिया है, अब लोग कहते हैं, कि हम भारत के पहले गांव की यात्रा करके लौटे हैं. मोदी सरकार ने इन क्षेत्रों को विकसित करने और यहां रहने वाले स्थानीय लोगों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए नीति में परिवर्तन किया है. 

5- उन्होंने कहा, अरुणाचल प्रदेश में कोई भी नमस्ते नहीं कहता है क्योंकि लोग यहां एक-दूसरे को जय हिंद कहते हैं जो हमारे दिलों को देशभक्ति से भर देता है. अरुणाचल के लोगों के इसी रवैए के कारण ही उस पर कब्जा करने आए चीन को पीछे हटना पड़ा. 

वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (Vibrant Villages Programme) का मुख्य उद्देश्य भारतीय सीमा से जुड़े गांवों में विकास को बढ़ावा देना है. इसके लिए सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2025-26 के लिए सड़क संपर्क के लिए विशेष रूप से 2500 करोड़ रुपये सहित 4800 करोड़ रुपये के केंद्रीय योगदान के साथ ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ (वीवीपी) को मंजूरी दी है. वीवीपी एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसके तहत व्यापक विकास के लिए अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उत्तरी सीमा से सटे 19 जिलों के 46 ब्लॉकों में 2967 गांवों की पहचान की गई है. पहले चरण में, प्राथमिकता के आधार पर 662 गांवों की पहचान की गई है, जिनमें अरुणाचल प्रदेश के 455 गांव शामिल हैं.

भारत और चीन के बीच चल रहा सीमा विवाद

अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख को लेकर चीन के साथ लंबे समय से सीमा विवाद है. चीन अरुणाचल के तमाम हिस्सों को अपना बताता है. भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश की करीब 90 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर चीन अपना दावा करता है. जबकि, भारत की ओर से साफ किया जा चुका है कि अरुणाचल भारत का अटूट हिस्सा है और रहेगा.

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