संगठन और अतीक इफेक्ट के जरिए निकाय चुनाव स्वीप करने की तैयारी में बीजेपी!

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले इस बार के निकाय चुनाव में एक बार फिर लॉ एंड ऑर्डर सबसे बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है. बीजेपी को उम्मीद है कि उमेश पाल हत्याकांड के बाद योगी आदित्यनाथ की सख्त कार्रवाई ने एक बार फिर लॉ एंड ऑर्डर को लेकर एक लहर पैदा कर दी है, जिसके बाद बीजेपी अपने मजबूत संगठन के जरिए निकाय चुनाव में वोटों की सुनामी में बदल सकती है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरीके से पश्चिमी उत्तर प्रदेश से निकाय चुनाव की सभाएं शुरू की हैं और हर सभा में माफियाओं के खिलाफ मिट्टी में मिला देने की कार्रवाई को मुद्दा बना रहे हैं. यह तय है कि अतीक अहमद से लेकर असद तक की मौत को बीजेपी इस चुनाव में भुना लेना चाहती है.

संगठन हर उस शख्स पर दांव लगाने को तैयार हैं जो चुनाव जीत सकता है और यही इस निकाय चुनाव में दिखाई दे रहा है. जिस तरीके से बीजेपी ने बिल्कुल आखिरी वक्त में शाहजहांपुर से समाजवादी पार्टी के की उम्मीदवार अर्चना वर्मा को तोड़कर बीजेपी से टिकट दिया, यह दिखाता है कि बीजेपी का संगठन जीत के लिए हर दांव चलने को तैयार है.

बीजेपी के नए संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह के लिए निकाय चुनाव एक लिटमस टेस्ट की तरह है. संगठन में बिल्कुल चुपचाप काम करने वाले धर्मपाल सिंह खतौली उपचुनाव की हार और रामपुर उपचुनाव की जीत दोनों के सबक के साथ निकाय चुनाव में नए प्रयोग कर रहे हैं.

परिवारवाद-करप्शन के आरोपों पर कोई समझौता नहीं 

धर्मपाल सिंह ने पार्टी के पुराने स्टैंड का प्रयोग और मजबूती से दोहराया यानी परिवारवाद और करप्शन के आरोपों पर कोई समझौता नहीं होगा. ना ही मंत्री-सांसद और विधायक के परिवार वाले को कोई टिकट मिलेगा. इसी तरह किसी घोटाले में आरोपी को भी टिकट नहीं दिया जाएगा. यानी अगर कोई सांसद-विधायक या मंत्री है तो उसकी पत्नी, बेटे, भाई, मां, करीबी रिश्तेदार को टिकट नहीं मिलेगा.

संगठन ने यहां मजबूती से अपने पांव गढ़ा दिए हैं. चाहे प्रयागराज से निवर्तमान मेयर और गोपाल गुप्ता नंदी की पत्नी अभिलाषा गुप्ता के मेयर का टिकट कटना हो या फिर अयोध्या के ऋषिकेश उपाध्याय का, जिनपर अयोध्या में जमीन घोटाले का आरोप लगा. संगठन ने बेरहमी से इस मुद्दे पर स्टैंड लिया, उन सभी नेताओं के हाथ मायूसी लगी जिन्होंने अपने बेटे, बेटी या पत्नी के लिए इस निकाय चुनाव में आवेदन किया था.

परिवार के लिए टिकट मांगने वालों की लंबी लिस्ट

परिवार के लिए टिकट मांगने वालों की एक लंबी फेहरिस्त थी. लखनऊ से विधायक नीरज बोरा, पूर्व मंत्री मोहसिन रजा, कानपुर के सांसद सत्यदेव पचौरी, लखनऊ की पूर्व मेयर संयुक्ता भाटिया सरीखे कई नाम ऐसे थे जो अपनी पत्नी, अपनी बेटी, बहू के लिए मेयर का टिकट चाहते थे और इन लोगों ने बकायदा पार्टी में आवेदन भी कर रखा था, लेकिन संगठन के आगे परिवार की एक नहीं चली और पार्टी ने एक झटके में यह फैसला कर लिया कि ना तो परिवार से टिकट देंगे और ना ही किसी तरह के आरोपी को.

निकाय चुनाव में मुस्लिमों को रिकॉर्ड टिकट

बीजेपी संगठन ने इस बार मुसलमानों के साथ भी नए प्रयोग किए हैं. इस बार नगर निकाय चुनाव में रिकॉर्ड स्तर पर मुसलमानों को टिकट दिए गए. इतने टिकट बीजेपी ने पहले कभी नहीं दिए. खासकर नगर पालिका और नगर पंचायत चुनाव के लिए बीजेपी ने कई मुस्लिम कैंडिडेट उतारे. नगर पालिका अध्यक्ष के लिए 5 मुस्लिम उम्मीदवार बीजेपी ने दिए हैं, जिसमें आजमगढ़, रामपुर, बिजनौर, अंबेडकरनगर और अमरोहा जैसे जिलों में नगर नगर पालिका अध्यक्ष के लिए बीजेपी ने मुस्लिम चेहरों को उतारा है. जबकि नगर पंचायत के लिए मुस्लिम चेहरों की भरमार है इस बार 300 से ज्यादा मुस्लिम चेहरों पर बीजेपी ने यूपी निकाय चुनाव में दांव लगाया है.

बीजेपी के साथ है मुस्लिमों का एक वर्ग

पार्टी को लगता है कि मुसलमानों का एक बड़ा तबका जो उनके बीच बेशक संख्या में कम हो, लेकिन पार्टी के साथ खड़ा है उसे जोड़ने का वक्त है. कुछ महीने पहले जब गोला गोकर्णनाथ, रामपुर और खतौली के चुनाव हुए थे तब अनौपचारिक बातचीत में संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया था कि गोला गोकर्णनाथ और रामपुर में मुसलमानों ने अच्छी तादाद में बीजेपी को वोट किया था. ऐसे कई पोलिंग बूथ थे जहां बीजेपी को समाजवादी पार्टी से भी ज्यादा मुसलमानों वोट मिले थे. इसे आधार बनाते हुए बीजेपी संगठन ने इस बार मुसलमानों को लेकर बड़े प्रयोग किए हैं. बीजेपी मुस्लिम मोर्चा के अध्यक्ष बासित अली के मुताबिक, पिछली बार की तुलना में 3 गुना से ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार इस बार निकाय चुनाव में बीजेपी के संगठन ने उतारे हैं अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम संगठन की उम्मीदों पर खरा उतरें और मुसलमानों के भीतर अपने समर्थकों को बूथ तक ले आएं. बीजेपी को लगता है अतीक अहमद मामले के सख्ती से  निपटारे के बाद निकाय चुनाव स्वीप करने की स्थिति बन रही है और उसमें संगठन की भूमिका बेहद अहम हो गई है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *