इस्लामाबाद। आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर ने धमकी भरा वीडियो जारी कर कहा है कि अगर भारत के अयोध्या में राम मंदिर बना तो वह दिल्ली से लेकर काबुल तक तबाही मचा देगा. मसूद अजहर ने नौ मिनट का ऑडियो जारी कर कहा है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराकर राम मंदिर बनाने की तैयारी हो रही है. हिंदू त्रिशूल लेकर अयोध्या में एकत्र हो रहे हैं. मुस्लिमों को डराया जा रहा है. अगर राम मंदिर बनाया गया तो हमारे लड़ाके दिल्ली से काबुल तक तबाही मचा देंगे.
ऑडियो के अगले हिस्से में मसूद अजहर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगला लोकसभा चुनाव जीतने के लिए ऐसा कर रहे हैं. मसूद अजहर कह रहा है कि बाबरी मस्जिद पर हम गंभीरता से नजर रखे हुए हैं. अगर कोई सोचता है कि वह सरकारी खर्चे पर अयोध्या में कुछ कर सकता है तो हम जान खर्च करने के लिए तैयार हैं. ऑडियो में अजहर मसूद ने करतारपुर कॉरिडोर की नींव रखे जाने के मौके पर भारत के मंत्रियों को पाकिस्तान बुलाए जाने पर आपत्ति जताई है.
मसूद अजहर के इस ऑडियो के आने के बाद सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं. सुरक्षा के जानकार इस ऑडियो को मसूद अजहर की हताशा दर्शाने वाला भी बता रहे हैं. जानकारों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों की मुस्तैदी के चलते जैश-ए-मोहम्मद के पांव लगभग उखड़ चुके हैं. ऐसे में मसूद अजहर भारत के आंतरिक मामलों पर बयान दर्ज कर अपने आतंकियों में उत्साह भरने की कोशिश कर रहा है.
मालूम हो कि पिछले करीब दो साल से जम्मू-कश्मीर में भारतीय जवान और जम्मू कश्मीर की पुलिस आतंकियों से सख्ती से निपट रही है. सेना के सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा बलों ने पिछले एक साल में केवल जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में करीब 250 आतंकवादियों को मार गिराए हैं. जम्मू कश्मीर में आतंकी सप्लाई करने में मसूद अजहर का बड़ा हाथ माना जाता है. मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी घोषित करने में चीन अड़ंगा लगा रहा है.
आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के प्रमुख मसूद अजहर का बचाव करने के लिए भारत ने चीन की आलोचना कर चुका है. भारत ने चीन की आलोचना करते हुए कह चुका है कि चीन “संकीर्ण राजनीतिक और सामरिक फायदे” के लिए सुरक्षा परिषद द्वारा मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने पर रोड़ा अटकाता रहा है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने चीन का नाम लिए बिना परिषद को बता चुका है, ‘आतंकवाद से निपटने के लिए सभी देश सहयोग नहीं कर रहे हैं. कुछ देश अपने संकीर्ण राजनीतिक एवं सामरिक फायदे में लगे हुए हैं.’ सैयद अकबरुद्दीन ने कहा था, ‘आतंकवादियों और संस्थाओं को महफूज ठिकानें मुहैया कराने जैसे गंभीर विषय पर परिषद प्रतिबंध समितियां कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई है.’