इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी के सर्वे पर लगी रोक हटा ली है। अदालत ने गुरुवार को सुनाए अपने फैसले में कहा कि न्याय के हित में यह जरूरी है कि वैज्ञानिक सर्वे करने दिया जाए। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की बेंच ने कहा कि एएसआई का सर्वे कराने का वाराणसी जिला अदालत का आदेश एकदम सही है। उसमें कोई खामी नहीं है। उच्च न्यायालय ने सर्वे से रोक हटाते हुए कहा कि जिला अदालत का फैसला तत्काल प्रभाव से लागू होता है और कभी भी सर्वे दोबारा से शुरू किया जा सकता है। इससे पहले कोर्ट ने 25 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बता दें कि वाराणसी जिला अदालत के आदेश एएसआई का सर्वे शुरू हुआ था। इसे चुनौती देते हुए मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट चला गया था, जिसने सर्वे पर अंतरिम रोक लगाते हुए उन्हें उच्च न्यायालय जाने की सलाह दी थी। वे उच्च न्यायालय पहुंचे तो बेंच ने एएसआई का पक्ष भी जाना और किसी भी तरह की तोड़फोड़ न करने की नसीहत दी। सुनवाई के दौरान एएसआई ने कहा कि सर्वे के दौरान किसी तरह की तोड़फोड़ या खुदाई नहीं होगी। यदि ऐसी जरूरत कहीं पड़ती है तो फिर कोर्ट से मंजूरी ली जाएगी।
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बता दें कि पिछले दिनों सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक इंटरव्यू में कहा था कि ज्ञानवापी को मस्जिद कहना ही विवाद की बात है। उन्होंने कहा था कि आखिर मस्जिद के अंदर त्रिशूल क्या कर रहा है। देव प्रतिमाएं क्यों हैं। उन्होंने कहा था कि ज्ञानवापी की दीवारें चिल्ला-चिल्लाकर कह रही हैं कि वह क्या है। यही नहीं सीएम ने मुस्लिम समाज से अपील की थी कि उन्हें ही एक प्रस्ताव लेकर आना चाहिए कि इतिहास में जो गलती हो गई, वह हो गई। उसे अब सही करने का वक्त है।