अहमदाबाद। गुजरात के आनंद जिले के सुन्दरणा गांव में रहने वाले महेशभाई सोलंकी के परिवार में पुनर्जन्म की कहानी सामने आई है. परिवार को भी इस बात की जानकारी तब हुई जब पूरा परिवार रणुजा पद यात्रा के लिए गया हुआ था. वहां पहुंचने के बाद इस परिवार के चार साल के बच्चे बादल ने लगभग दो हजार लोगों की भीड़ में अपने दादा को पहचान लिया. उसने जैसे ही अपने दादा को देखा, उनके गले से लिपट गया. हिंदू धर्म पुनर्जन्म को मानता है. हमारे शास्त्र में इस बात का उल्लेख कई जगहों पर किया गया है.
आनंद जिले की यह कहानी है इस जन्म के बादल और पूर्व जन्म के जयदीप की. जयदीप का जन्म अहमदाबाद के बावला तालुका, रास गांव में एक ठाकोर परिवार में हुआ था. जयदीप जब 16 साल का था उस दौरान रणुजा यात्रा के दौरान ही उसकी मौत हो गई थी. इस घटना से पूरे परिवार की खुशी मातम में बदल गई. जयदीप अपने दादा कनुभाई ठाकोर के साथ इस यात्रा पर गया था जब उसकी मौत हो गई थी.
चार साल बाद कनुभाई ठाकोर एकबार फिर से रणुजा यात्रा पर निकले तो चार साल का बादल उन्हें दादा-दादा कहते हुए गले से लिपट गया. कनुभाई की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उनका पोता उन्हें वापस मिल चुका था. इस घटना के बाद मनुभाई का बादल से पोते जयदीप जैसा ही लगाव हो गया क्योंकि इस चार साल के बच्चे की सभी आदतें जयदीप से मिलती जुलती थी. बादल सोलंकी आनंद जिले के पेटलाद का रहने वाला है. वह बार-बार अपने इस जन्म के माता-पिता को अपने दादाजी से मिलने की जिद करने लगा और दादा-पोते का संबंध एकबार फिर कायम हो गया. एक बार जब बादल बीमार पड़ा तो अपने दादाजी से मिलने की जिद करने लगा. तब बादल के माता-पिता उसे आनंद से लेकर अहमदाबाद के बावला पहुंचे.
बादल अपने गांव के सभी रास्तों को अच्छे से जानता था. वह अपने आप ही कनुभाई के घर में घुस गया. यह घटना देख बादल के मातापिता आश्चर्यचकित हो गए और पुनर्जन्म की मान्यता पर उन्हें भी भरोसा होने लगा. जब बच्चे को गोद से उतारा गया तो वह दौड़ कर घर के नजदीक बने मंदिर पहुंचा और वहां प्रणाण किया. कनुभाई ने बताया कि जयदीप बहुत ही संस्कारी बच्चा था. उसका पूजा पाठ में विश्वास था. वह रोजाना इसी मंदिर के दर्शन करने जाया करता था.
जब मनुभाई ने अपने घर में रखे फोटो एलबम को चार वर्षीय बादल को बताया तो उसमें मौजूद जयदीप की फोटो को उसने अपना फोटो होने की बात कही. इस पुनर्जन्म की खास बात यह है कि जयदीप के मरने की तारीख और बादल के जन्म की तारीख एक ही है. जयदीप की मौत 13 मार्च 2014 को रात के बारह बजे के आसपास हुई थी. उसी वक्त बादल का भी जन्म हुआ था.
बादल अपने पुराने रिश्तेदारों को भी अच्छे से पहचानता है. उसे पिछले जन्म की सभी बातें याद है. बादल पूरे गांव के लिए कौतूहल का विषय बना हुाआ है. इस घटना के सामने आने के बाद अब हर कोई पुनर्जन्म की घटना को मानने लगा है. पुनर्जन्म पर भरोसा करने वाले लोगों के पक्ष में यह एक और उदाहरण जुड़ गया है.