लखनऊ विकास प्राधिकरण में जफर और जुबेर का दिखता है रुतबा और चलता है अपना ही सिक्का

अतीक़, अशरफ और मुख्तार के माफियाराज, दहशत पर बुलडोजर चलाने वाली योगी सरकार, ज़फर, जुबैर के भ्रष्टाचार रूपी रावण के विकराल रूप के आगे जीरो टोलरेंस नीति कही भी नजर नही आती है।

लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी जफर और जुबेर के भ्रष्टाचार से कमाई गई अकूत संपत्ति से वरिष्ठ अधिकारी इस तरह प्रभावित हैं कि जनसुनवाई पोर्टल पर भी उच्च अधिकारियों के सम्मुख पत्रों और आख्या के माध्यम से भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही न करके केवल गुमराह करते दिखाई दे रहे हैं। जफर और जुबेर द्वारा किए गए कथित भ्रष्टाचार को बचाने के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण के अनेक अधिकारियों द्वारा संगठित रूप से कार्य किया जा रहा है।

जफर अहमद द्वारा कमाई गई अकूत संपत्ति के संबंध में शपथ पत्र एवं साक्ष्यों को वर्ष 2011 में प्रस्तुत करने के बाद भी लगभग 3 साल उपरांत लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है जबकि माननीय मुख्यमंत्री जी भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीतियों को बार-बार दोहरा रहे हैं लेकिन उच्च अधिकारियों द्वारा ऐसे भ्रष्ट लोगों को बचाने हेतु हर संभव प्रयास किया जा रहा है।

जफर अहमद एवं जुबैर अहमद द्वारा 50 करोड़ रुपये की अनुमानित प्राधिकरण की सम्पत्ति के भ्रष्टाचार के विकराल रूप के आगे मा. मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ का भ्रष्टाचार के विरुद्ध ज़ीरो टोलरेंस नीति का बुलडोजर भी कारगर नही दिखता। लखनऊ विकास प्राधिकरण के कोटे से अलीगंज में अपने नाम से आलीशान मकान बनाने के बाद श्री जफर अहमद द्वारा बीवी बच्चों एवं निकट परिजनों के नाम पर प्राधिकरण की अनेक संपत्तियों का नियम विरुद्ध आवंटन कर दिया।

अपनी बीवी, बेटी और बेटे के नाम और पते बदल बदल कर अनेक संपत्तियों/भवन/भूखंडों का प्राधिकरण की योजनाओं में आवंटन किया जाना न सिर्फ गैरकानूनी है बल्कि गंभीर जांच का विषय है। श्री ज़ुबैर अहमद द्वारा अपनी पत्नी शिरीन के नाम से संपत्ति आवंटन किया जाना और फिर नाम बदल कर निगहत के नाम से प्राधिकरण की संपत्तियों का आवंटन किया जाना गैर कानूनी है लेकिन लखनऊ विकास प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारी जफर और सूअर अहमद पर कार्रवाई करने से घबराते नजर आ रहे हैं ।

विश्वसत सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जफर एवं जुबेर के समाजवादी सरकार के अनेक वरिष्ठ नेताओं से करीबी संबंध है जिसके चलते माफिया मुख्तार अंसारी को लखनऊ विकास प्राधिकरण की बेनामी संपत्तियों को बेचने में इन दोनों की संत गांठ से इंकार नही किया जा सकता। जहां एक तरफ एलडीए कर्मचारी नेता शिव प्रताप के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज किया जाता है तो वहीं जफर और जुबेर के खिलाफ शपथ पत्र समर्पित अनेक साक्ष्यों को उपलब्ध कराने के बाद भी कोई कार्रवाई न किया जाना योगी सरकार के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीतियों को कटघरे में खड़ा करती है।

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