उत्तर प्रदेश की पुलिस ने 10 लोगों का गैंग को गिरफ्तार किया है, जो भोले-भाले लोगों को चूना लगा चुके हैं और करोड़ों रुपयों की ठगी कर चुकी है. इन्होंने एकदम फिल्मी स्टाइल में ठगी के मामलो को अंजाम दिया, जहां बैंक कस्टमर को पता ही नहीं चलता था कि कब उनके बैंक अकाउंट से रुपये कट गए. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले की पुलिस ने शनिवार को ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया है, जो पूरे देश में साइबर ठगी के केस को अंजाम दे चुके थे. इसके लिए ये लोग क्लोनिंग चेक का इस्तेमाल करते थे. यह जानकारी सीनियर सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (SSP) ने श्लोक कुमार ने PTI को दी.
साइबर ठगी के आए दिन नए-नए केस सामने आ रहे हैं, जहां भोले-भाले लोगों को साइबर क्रिमिनल्स बड़ी ही चालाकी से चूना लगा रहे हैं. अब पुलिस ने एक ऐसे गैंग का भंडाफोड़ किया है, जो एकदम फिल्मी अंदाज में लोगों को चूना लगा रहे थे. लोगों को पता भी नहीं चलता था कि कब उनके बैंक से रुपये उड़ा लिए गए हैं. आइए इसके बारे में डिटेल्स में जानते हैं.
उत्तर प्रदेश की पुलिस ने 10 लोगों का गैंग को गिरफ्तार किया है, जो भोले-भाले लोगों को चूना लगा चुके हैं और करोड़ों रुपयों की ठगी कर चुकी है. इन्होंने एकदम फिल्मी स्टाइल में ठगी के मामलो को अंजाम दिया, जहां बैंक कस्टमर को पता ही नहीं चलता था कि कब उनके बैंक अकाउंट से रुपये कट गए.
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले की पुलिस ने शनिवार को ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया है, जो पूरे देश में साइबर ठगी के केस को अंजाम दे चुके थे. इसके लिए ये लोग क्लोनिंग चेक का इस्तेमाल करते थे. यह जानकारी सीनियर सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (SSP) ने श्लोक कुमार ने PTI को दी.
SSP ने बताया कि जो लोग गिरफ्तार हुए हैं, उसमें से कुछ बैंक के जनरेटेर ऑपरेटर थे, जिन्होंने डेटा लीक किया. इसके अलावा टेलीकॉम कंपनियों के एजेंट भी थे, जो SIM Card को ट्रांसफर करते थे. कुछ लोग ऐसे थे, जिनके बैंक अकाउंट में रुपये डिपॉजिट कराए जाते थे.
पुलिस ने बताया है कि यह गैंग पहले बैंक कस्टमर की बड़ी ही चालाकी से चेकबुक को उड़ाता था. वे चेकबुक को बैंक में पहुंचने से पहले ही गायब कर देते थे. इसके बाद जब बैंक कस्टमर कंप्लेंट दर्ज कराता था, तो पुरानी चेकबुक को कैंसिल कर दिया जाता और नई चेकबुक को जारी कर दिया था. इसके बाद गैंग नई चेकबुक की डिटेल्स डिलिवरी होने से पहले चुरा लेता.
पुलिस ने बताया कि गैंग एक खास केमिकल का इस्तेमाल करके चेकबुक से पुरानी डिटेल्स को रिमूव कर देता और नई चेकबुक की डिटेल्स को प्रिंट कर देता था. इसके साथ ही कस्टमर के फर्जी साइन का इस्तेमाल करते और रुपये निकाल लेते थे.
SSP कुमार ने बताया कि उन्होंने इस मामले की जांच तब शुरू की, जब एक स्थानीय व्यक्ति के साथ 15 लाख रुपये की साइबर ठगी का मामला सामने आया. साइबर क्रिमिनल्स ने बड़ी ही चालाकी से कस्टमर को भनक लगे बिना उसके चेक का इस्तेमाल करके 15 लाख रुपये उड़ा लिए.
पुलिस ने बताया कि शिकायतकर्ता ने कहा कि उसे बैंक की तरफ से कोई मैसेज नहीं मिला कि उसके बैंक से रुपये कट गए हैं. कस्टमर ने जब पासबुक को अपडेट कराया, तो उसे पता चला कि उसके बैंक अकाउंट से 15 लाख रुपये उड़ा लिए गए हैं.
यह एक ऑर्गनाइज गैंग है और इसके मेंबर एक टीम की तरह काम करते हैं. ये गैंग ऐसे काम करता था, जो किसी कंपनी या ऑफिस में करते हैं. ये लोगों को ठगने के लिए बड़े ही सिस्टम से काम करते थे. पुलिस ने बताया कि पहले वे बैंक से उस व्यक्ति कि डिटेल्स का इंतजाम करते. इसके बाद वे उस व्यक्ति के नाम से सिम कार्ड हासिल करते, जिसके लिए वे फर्जी डॉक्यूमेंट का इस्तेमाल करते हैं.
इसके बाद लूटे हुए रुपयों को अलग-अलग बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया, जिसकी मदद से उसे ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है और रिकवर करने में भी परेशानी होती है. यहां एक ऐसा ग्रुप होता होता था, जो ठगी में लूटे गए रुपये से जमीन आदि खरीदता. यह जानकारी पुलिस ने दी.
पुलिस ने इनके पास से 42 मोबाइल फोन बरामद किए हैं. इनके पास से 33 SIM cards, 12 चेकबुक, 20 पासबुक, 14 खुले चेक को जब्त किया गया है. इसके अलावा पुलिस ने एक कार को भी जब्द किया है, जिसके डैशबोर्ड पर दिल्ली पुलिस की कैप रखी थी. इसकी मदद से वे सिक्योरिटी चेकिंग आदि से बच जाते थे. उनके पास से वॉकी-टॉकी को भी जब्त किया है. यह गैंग दिल्ली, मध्य प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में एक्टिव था.