ज्योत्सना प्रकाश अपनी रूममेट के साथ रहती थी. 28 अगस्त की रात को वो किसी से मिलने जाने की बात कह कर घर से निकली, लेकिन फिर लौट कर नहीं आई. पहले रूममेट ने उससे संपर्क साधने की कोशिश की और फिर घरवालों ने, लेकिन उसके मोबाइल फोन पर कॉल पिक नहीं हो रहा था.
नागपुर की रहने वाली एक लड़की अचानक गायब हो गई. उसका मोबाइल फोन ऑन था. पर फोन उठ नहीं रहा था. उधर, फोन की लोकेशन लगातार बदल रही थी. अलग-अलग जगहों पर नजर आ रही थी. ऐसे में पुलिस का शक गहरा हो गया. गुमशुदगी का राज़ कहीं मोबाइल फोन में ही क़ैद था. पुलिस ने फोन की सीडीआर यानी कॉल डिटेल रिकॉर्ड निकलवाई और तब एक ऐसी कहानी सामने आई जिसने खुद पुलिस वालों को भी चौंका दिया. ये कहानी है एक फौजी के ख़ूनी इश्क की.
32 साल की ज्योत्सना प्रकाश आकरे इसी इलाके में अपनी रूम मेट के साथ रहती थी. 28 अगस्त की रात को वो किसी से मिलने जाने की बात कह कर घर से निकली, लेकिन फिर लौट कर नहीं आई. पहले रूम मेट ने उससे संपर्क साधने की कोशिश की और फिर घर वालों ने, लेकिन उसके मोबाइल फोन पर कॉल पिक नहीं हो रहा था. अगले दिन यानी 29 अगस्त को ज्योत्सना के भाई ने नागपुर के ही बेलतरोड़ी थाने में अपनी बहन की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई.
सीसीसीटी फुटेज और सीडीआर की जांच
रिपोर्ट लिखे जाने के बाद पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की. सीसीटीवी फुटेज, सीडीआर यानी कॉल डिटेल रिकॉर्ड और मोबाइल फोन का डंप डाटा निकाल कर ये जानने समझने की कोशिश की गई कि आखिर ज्योत्सना की आखिरी बार किससे बातचीत हुई थी और उसकी लास्ट लोकेशन कहां थी. लेकिन इस कोशिश के बावजूद पुलिस को ज्योत्सना का कोई खास सुराग नहीं मिल सका. इस तरह करीब दो हफ्ते से ज्यादा का वक़्त गुज़र गया. 20 दिन बाद ज्योत्सना के भाई ने एक बार फिर पुलिस में अपनी बहन की गुमशुदगी को लेकर शिकायत की और शक जताया कि उसकी बहन का किसी ने अपहरण कर लिया है.
पुलिस ने दर्ज किया ज्योत्सना के अपहरण का केस
अब तक पुलिस को भी कुछ ऐसा ही लग रहा था. क्योंकि पहली बात तो ये थी कि ज्योत्सना बालिग लड़की थी, पढ़ी लिखी आत्मनिर्भर थी, ऑटोमोबाइल के एक शो रूम में काम करती थी. और दूसरी ये कि वो हमेशा अपने घरवालों के संपर्क में रहती थी. ऐसे में उसका अपने-आप यूं गायब हो जाना और पिछले बीस दिनों से किसी से भी फोन पर बात तक नहीं करना पुलिस को भी हैरान कर रहा था. लिहाजा, पुलिस ने भाई की दूसरी शिकायत पर ज्योत्सना के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज की और अपनी तफ्तीश में तेजी लाई.
बार-बार बदल रही थी ज्योत्सना की मोबाइल लोकेशन
पुलिस इस बात को लेकर भी बहुत हैरान थी कि आखिर ज्योत्सना के मोबाइल फोन की लोकेशन अलग-अलग वक्त पर नागपुर के बाहर अलग अलग इलाक़ों में नजर आ रहा था, लेकिन फोन उठ नहीं रहा था.
मैट्रिमोनियल साइट के ज़रिए ज्योत्सना से मिला था अजय
अब पुलिस ने ज्योत्सना को जानने वाले लोगों के बारे में जानकारी जुटाने की शुरुआत की और इसी कड़ी में एक नाम सामने आया- अजय वानखेड़े का. अजय वानखेड़े एक फौजी था और उसकी पोस्टिंग नागालैंड में थी. मूल रूप से नागपुर के ही रहने वाले अजय वानखेड़े की ज्योत्सना से मुलाकात एक मैट्रिमोनियल साइट पर हुई थी. और दोनों तब से एक दूसरे के संपर्क में थे. हालांकि ज्योत्सना के घर वालों का कहना था कि अजय और ज्योत्सना के रिश्ते की बात किसी वजह से बन नहीं पाई थी.
असल में अजय की पहले भी दो शादियां हुई थी और वो अपनी तीसरी बीवी की तलाश में था, जबकि ज्योत्सना का भी पहले एक बार तलाक हो चुका था. खैर नागपुर पुलिस अब अजय वानखेड़े से पूछताछ करना चाहती थी, लेकिन तब तक उसे पता चला कि अजय वानखेड़े डाइबिटीज़ की शिकायत को लेकर पुणे के आर्मी हॉस्पिटल में भर्ती है.
अस्पताल से फरार हो चुका था अजय
चूंकि अजय पुलिस की रडार पर आ चुका था, नागपुर पुलिस ने आर्मी हॉस्पिटल से अजय पर नजर रखने की रिक्वेस्ट की और कहा कि वो जब भी अस्पताल से डिस्चार्ज हो, उसे नागपुर पुलिस के हवाले किया जाए. लेकिन इतना होने के बावजूद अजय अस्पताल वालों को चकमा दे कर फरार होने में कामयाब हो गया. और इसी के साथ पुलिस को यकीन हो गया कि ज्योत्सना की गुमशुदगी से अजय का कोई ना कोई रिश्ता जरूर है.
अजय ने पुलिस के सामने ऐसे किया सरेंडर
इस बीच पुलिस का शक तब और गहरा हो गया, जब अजय ने इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए पहले सेशन कोर्ट में और फिर हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दी और दोनों ही अदालतों से उसकी जमानत की अर्जी खारिज हो गई और तब आखिरकार उसने खुद ही पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. इसके बाद जब पुलिस ने उससे पूछताछ शुरू की, तो ज्योत्सना की गुमशुदगी को ले कर एक ऐसी कहानी सामने आई,जिसे सुन कर हर कोई हैरान रह गया.
दरअसल, ज्योत्सना कहीं गायब नहीं हुई थी, बल्कि उसकी हत्या की गई थी. और हत्या करने वाला भी कोई और नहीं बल्कि खुद अजय वानखेड़े ही था, जिससे ज्योत्सना की मुलाकात करीब दो साल पहले एक मैट्रिमोनियल साइट पर हुई थी. अजय ने हत्या की बात कबूल करने के साथ ही उसकी लाश को एक जंगल में दफनाने की बात कही. और पुलिस ने उसकी निशानदेही पर नागपुर के बाहरी इलाके में मौजूद एक सुनसान जगह से ज्योत्सना की जमीन में दफ्न सड़ी गली लाश बरामद कर ली. अजय ने ज्योत्सना की लाश जहां दफ्नाई थी, उस जगह को उसने सीमेंट डाल कर सील कर दिया था. ताकि किसी भी कीमत पर लाश का राज ना खुले.
ये थी अजय पर शक की तीन वजह
पुलिस को तीन वजहों से अजय पर शक हो गया था और शक सही निकला. पहली वजह तो यही थी कि अजय ठीक उन्हीं दिनों से अस्पताल में भर्ती था, जिन दिनों ज्योत्सना गायब हुई थी. दूसरी वजह ये कि गुमशुदगी के दिन यानी 28 अगस्त को दोनों के मोबाइल फोन की लास्ट लोकेशन कॉमन जगह पर थी. और तीसरी वजह ये कि अजय की ज्योत्सना के अलावा और भी कई गर्लफ्रेंड थी, ऐसे में पुलिस को उसकी हरकतों पर शक होने लगा था.
लेकिन क़त्ल की इस वारदात के पीछे की कहानी जितने अजीब थी, क़त्ल का तरीका भी उतना ही हैरान करने वाला. बस यूं समझ लीजिए कि अजय देवगन और तब्बू की फिल्म दृश्यम की तर्ज पर अजय वानखेड़े ने इस मर्डर की प्लानिंग की थी. दो सालों के रिलेशन के बाद अजय ज्योत्सना से पीछा छुड़ाना चाहता था. लेकिन ज्योत्सना अब उससे शादी करने की जिद पर अड़ी थी. ऐसे में अजय ने उससे बातचीत बंद कर दी. लेकिन जब ज्योत्सना ने उस पर दबाव बनाना शुरू किया तो वो घबरा गया.
कत्ल के बाद ज्योत्सना की लाश को किया था दफ्न
28 अगस्त को उसने पहले अपनी मां से मोबाइल कॉल कर ज्योत्सना को नागपुर के वर्धा रोड पर मिलने बुलाया. इसके बाद दोनों रात को नागपुर के ही एक होटल में रुके. फिर होटल से निकल कर घूमने जाने के बहाने शहर से बाहर की तरफ निकल गए. रास्ते में एक टोल प्लाजा के पास अजय ने ज्योत्सना को नशीली कोल्ड ड्रिंक पिला दी. आगे एक सुनसान जगह पर उसने पहले ज्योत्सना की गला घोंट कर हत्या कर दी और फिर उसकी लाश को जंगल में ले जाकर दफ्ना दिया. इसके लिए उसने आधी रात को ही ना सिर्फ जंगल में गड्ढा खोदा, बल्कि अपने साथ ले गए सीमेंट से लाश वाले गड्ढे को पूरी तरह से बंद कर दिया था. कुछ-कुछ दृश्यम फिल्म की तरह ही था.
लेकिन इसके बाद उसने सभी को उलझाने के लिए वो काम किया, जो फिल्म दृश्यम में था. क़त्ल के बाद उसने ज्योत्सना का मोबाइल फोन एक चलते ट्रक में फेंक दिया और इससे पुलिस ज्योत्सना की लोकेशन को लेकर उलझन में रही. तीसरी और हैरान करने वाली साज़िश उसकी इस वारदात के तुरंत बाद खुद को पुणे के अस्पताल में भर्ती दिखाने की थी, ताकि कोई भी उस पर वारदात में शामिल होने को लेकर शक ना कर सके. मगर इतनी कोशिश करने के बावजूद आखिरकार पुलिस ने उसकी हरकतों, उसके मोबाइल फोन की कॉल डिटेल, उसकी लोकेशन और ज्योत्सना के घर वालों के बयान के आधार पर उसे पकड़ ही लिया.