एक बार कल्याण को साथ लाकर दंश झेल चुकी है सपा, कांग्रेस को संभल मुद्दे पर नहीं आने देगी आगे

उपेन्द्र नाथ राय

लखनऊ। संभल मुद्दे पर समाजवादी पार्टी को अल्पसंख्यक समाज की अगुवाई किसी भी दूसरे दल का मंजूर नहीं है, क्योंकि वह एक बार रामभक्त कल्याण सिंह से समझौता कर भुगत चुकी है। जब उसे प्रदेश में अचानक 12 सीटों का नुकसान झेलना पड़ा था और कांग्रेस की 12 सीटें बढ़ गयी थी। यही कारण है कि इंडिया गठबंधन का हिस्सा होते हुए समाजवादी पार्टी यह नहीं चाहती कि राहुल गांधी या कांग्रेस संभल मुद्दे पर अगुवा बने।
बात 2009 लोकसभा चुनाव की है, जब मुलायम सिंह यादव भाजपा से बगावत करने वाले कल्याण सिंह को अपनी तरफ मिला चुके थे। उनको अपने साथ लेकर लोकसभा चुनाव में उतरे थे। इसके बाद मुस्लिम समाज सपा से विदक गया और कांग्रेस की तरफ झुक गया। एक आंकलन के अनुसार 60 प्रतिशत मुस्लिम समाज ने कांग्रेस को वोट किया, जबकि समाजवादी पार्टी को 30 प्रतिशत मुस्लिम समाज ने ही वोट किया। इसके बाद समाजवादी पार्टी को बहुत धक्का लगा। इससे पहले मुल्ला मुलायम कहलाने में आनंद की अनुभूति करने वाले मुलायम सिंह से मुसमान विदक चुके थे। इसका फायदा कांग्रेस को हुआ।
इसके बाद समाजवादी पार्टी ने कल्याण सिंह से किनारे करना शुरु कर दिया और वे सपा से बाहर हो गये। 2009 लोकसभा चुनाव के परिणामों की बात करें तो कई चुनावों के बाद कांग्रेस को उप्र में दोगुनी सीटों का इजाफा हुआ था। 2004 में मात्र नौ लोकसभा सीटों पर जीतने वाली कांग्रेस को 2009 में 21 सीटों पर जीत हासिल मिली थी। कांग्रेस के वोट प्रतिशत में भी 6.21 प्रतिशत वोट का इजाफा हुआ था और कांग्रेस को उप्र में 18.25 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं समाजवादी पार्टी को 12 सीटों का नुकसान हुआ था। 2004 के लोकसभा चुनाव में 35 सीटों पर परचम लहराने वाली समाजवादी पार्टी 23 सीटों पर सीमट गयी। उसके वोट प्रतिशत में भी 3.48 प्रतिशत की कमी आयी और 23.26 प्रतिशत की कमी आयी। वहीं भाजपा की सीटों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ और दस सीटों पर ही उसे विजय हासिल हुई। बसपा को सिर्फ एक सीट का फायदा हुआ और वह 19 से 20 सीट पर पहुंच गयी।
उसके बाद समाजवादी पार्टी ने गलती में सुधार किया और उसने मुस्लिम समाज को मिलाए रखने के लिए हर तरह से जतन किये। उप्र में किसी तरह का कोई बवाल हो, समाजवादी पार्टी का सबसे पहले बयान आता है। कांग्रेस इसी वोट बैँक को पुन: 2009 की स्थिति में लाना चाहता है। इस कारण वह अडानी के साथ ही संभल मुद्दे पर समाजवादी पार्टी से पिछड़ना नहीं चाहती, लेकिन वह जैसे ही बोलती है, समाजवादी पार्टी के नेताओं के कान खड़े हो जाते हैं।
इस संबंध में भाजपा के वरिष्ठ नेता चंद्रभूषण पांडेय ने कहा कि सपा-कांग्रेस के बीच एक वर्ग के वोट बैंक को लेकर आपसी झगड़ा है। कांग्रेस आकाशबेल की तरह है, जो देखने में सुंदर लगती है, लेकिन जिस पेड़ पर चढ़ती है, उसे ही समाप्त कर देती है। उप्र में भी कांग्रेस सपा को समाप्त करने पर तुली हुई है। आने वाले समय में कांग्रेस खुद तो समाप्त होगी, साथ ही समाजवादी पार्टी को भी समाप्त कर देगी।

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