एशियाई खेलों और युवा ओलंपिक खेलों के चैम्पियन सौरभ चौधरी ने रविवार को यहां डॉ कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में दूसरी ट्रायल प्रतियोगिता की 10 मीटर एयर पिस्टल ट्रायल्स में पुरूषों और जूनियर लड़कों के वर्ग में जीत दर्ज की. सौरभ ने शनिवार को पहली ट्रायल प्रतियोगिता की दोनों स्पर्धाओं में जीत हासिल की थी और एक में वे मौजूदा विश्व रिकार्ड स्कोर से ऊपर रहे थे.
रविवार को उन्होंने 243.3 अंक के स्कोर से पुरूषों का फाइनल जीता और पंजाब के अर्जुन सिंह चीमा को पछाड़ा जो 239.8 अंक से दूसरे स्थान पर रहे. जूनियर लड़कों के फाइनल में सौरभ ने 246 अंक से अपने जूनियर विश्व रिकार्ड से ज्यादा का स्कोर बनाया. उन्होंने सेना के दीपक धारीवाल को पछाड़ा जो 241.2 अंक से दूसरे स्थान पर रहे.
साल भर छाए रहे मेरठ के सौरभ
इस साल सौरभ ने शानदार प्रदर्शन किया. उनकी खासियत यह रही कि वे साल के अंत तक अपने प्रदर्शन में निरंतरता कायम रख सके. सौरभ ने एशियाई खेलों से 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में सोने पर सफल निशान लगाया. वे एशियाई खेलों में सबसे कम उम्र में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ी बने थे. सौरभ यहीं नहीं रूके. इसके बाद उन्होंने कई जूनियर स्पर्धाओं में सोने का तमगा हासिल किया.
एशियाई खेलों की सफलता के बाद कोई बड़ा मंच सौरभ के सामने आया तो वह था यूथ ओलम्पिक. जाट परिवार से आने वाले इस युवा ने यहां भी अपने अभियान को जारी रखा और सोना जीता. इस जीत ने सौरभ का नाम एक बार और इतिहास में लिखवा दिया था. वे यूथ ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत के पहले निशानेबाज बने.
मेले में गुब्बारे पर निशाना साधने से की थी शुरुआत
सौरभ ने अपनी निशानेबाजी की शरुआत गांव के मेले में गुब्बारे पर निशाना साधने से की थी. वे उस समय भी एक दिन ओलंपिक निशानेबाजी में छाने का सपना देखा करते थे. सौरभ कंधे पर एयर रायफल लटकाए जब नीले, पीले और लाल रंग के गुब्बारों पर निशॉना साधते थे, उन्हें लगता था कि वे अभिनव बिंद्रा हैं. इसके बाद सौरभ रात-दिन निशानेबाजी करने लगे और अंतर विद्यालय और अंतर राज्यीय प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लेने लगे. उनका यह शौक धीरे धीरे जुनून में बदल गया और एक दिन वह राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में खेलने लगे.