नई दिल्ली/इस्लामाबाद। हेग के इंटरनेशनल कोर्ट में चल रहे कुलभूषण जाधव वाले मामले में इस महीने के अंत तक फैसला आ सकता है. एक तरह से भारत बनाम पाकिस्तान हो चुके इस मुद्दे पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. इस साल 18 से 21 फरवरी तक हेग में इंटरनेशनल कोर्ट में इस मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान की ओर से अपने अपने दावे और दलीलें पेश की गई थीं.
बता दें कि भारतीय मूल के नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने ईरान से पकड़ा था. इसके बाद पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने जाधव को जासूसी के झूठे आरोप में फांसी की सजा सुना दी थी. भारत 2016 से ही जाधव के कोंसुलर एक्सेस की मांग कर रहा है. इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास को जब से पता चला कि जाधव को पाकिस्तान ने कैद कर रखा है, तब से भारत उसके कोंसुलर एक्सेस की मांग कर रहा है.
हालांकि भारत के बार बार आग्रह पर भी पाकिस्तान उसकी मांग ठुकराता रहा. इसके बाद 8 मई 2017 को भारत पाकिस्तान के खिलाफ इस केस को इंटरनेशनल कोर्ट लेकर गया. इसमें उसने पाकिस्तान पर वियना समझौता 1963 को तोड़ने का आरोप लगाया. 18 मई 2017 को इंटरनेशनल कोर्ट ने कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगा दी. कोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा, जब तक आईसीजे इस मामले में अपना अंतिम निर्णय नहीं सुना देता, पाकिस्तान कुलभूषण जाधव को सजा नहीं दे सकता.
भारत ने कोर्ट में अपनी अपील में कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा निलंबित करने की मांग की. 25 दिसंबर 2017 को पाकिस्तान ने जाधव की मां और उनकी पत्नी को उनसे मिलने की इजाजत दी.