बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया में अक्सर बड़े पर्दे के पीछे जो राजनीति चलती है, वह लोगों के सामने नहीं आती. बॉलीवुड जिसके बारे में हर कोई जानना और समझना चाहता है, उसी रूपहले पर्दे से जुड़े हजारों-लाखों कर्मचारी कई तरह की राजनीति और विवादों का शिकार होते रहते हैं. काम न मिलने के डर से आवाज कम ही लोग उठाते हैं. अब एक नया विवाद खड़ा हुआ है. यह उन लोगों से जुड़ा है, जो गाने की शोभा बढ़ाते हैं, फिर चाहे आइटम नंबर हो या सेलिब्रेशन सोंग्स. हम यहां बैकग्राउंड डांसर्स की बात कर रहे हैं. ये बड़ी तादाद में सुपरहिट गानों में उपस्थित होते हैं, लेकिन अपनी आइडेंटिटी के लिए हर रोज मेहनत करते हैं. उदाहरण के तौर पर बता दें कि अभी रिलीज हुई फिल्म ‘तानाजी’ में एक गाने के लिए 300 बैकग्राउंड डांसर्स ने एक साथ परफॉर्म किया.
सीडीए यानी सिने डांसर्स एसोसिएशन की स्थापना 1955 में की गई थी, जिसमें बैकग्राउंड डांसर्स के 900 से ज्यादा मेंबर हैं, जिनमें काफी वरिष्ठ हैं, जो कि रिटायर हो चुके हैं. इसी सीडीए में सरोज खान, गणेश आचार्य, रेमो डिसूजा, वैभवी मर्चेंट जैसे कई कोरियोग्राफर अपने लिए बैकग्राउंड डांसर्स लेते हैं. अब मामला यह है कि CDA का यह कहना है कि गणेश आचार्य कोरियोग्राफर हैं और उन्होंने एक दूसरी एसोसिएशन खोल ली है- IFTEDA. वह CDA मेंबर्स को तोड़कर उसमें ले जा रहे हैं.
सरोज खान (Saroj Khan) इस एसोसिएशन की सबसे पुरानी सदस्यों में से एक हैं. एसोसिएशन तय करता है कि बॉलीवुड में फिल्माए जाने वाले गानों में डांसर्स सीडीए से ही लिए जाएं. किसी भी डांसर के साथ अन्याय न हो. डांसर्स को एसोसिएशन द्वारा तय किया गया कम से कम 4500 रुपये का मेहनताना मिले. किसी भी फिल्म की शूटिंग के बाद एक हफ्ते में पैसा मिल जाए. रिटायर होने वाले डांसर्स को उनका सही हक मिले और डांसर्स को मेडीक्लेम जैसी तमाम जरूरी सुविधाएं मुहैया करवाई जाएं.
ज़ी न्यूज़ से हुई खास बातचीत में सरोज खान ने कहा कि CDA की ब्रांड एम्बैसडर होने के नाते वह CDA का यह हाल नहीं देख सकती. सरोज खान ने गणेश आचार्य (Ganesh Acharya) पर निशाना साधते हुए कहा कि गणेश यह बहुत गलत कर रहे हैं. सीडीए जो कि एक बहुत पुरानी संस्था है, उसके मेंबर्स को छोड़कर दूसरे एसोसिएशन से जुड़ने के लिए प्रेशराइज कर रहे हैं, जो कि बिल्कुल गलत है. इतना ही नहीं सरोज खान ने यह भी कहा कि गणेश आचार्य राजनीति कर रहे हैं, जो कि सही नहीं है. कई बार अप्रोच करने के बावजूद भी गणेश आचार्य रिस्पांस नहीं कर रहे हैं. सरोज चाहती हैं कि गणेश आचार्य सीडीए के अधिकारियों से बात करें और इस तरह से एक दूसरी एसोसिएशन बनाकर CDA खत्म ना करें. इतना ही नहीं सरोज ने कहा कि गणेश आचार्य डांसर मेहनताना से कमीशन भी लेते हैं, जो कि गलत है. इतना ही नहीं सरोज खान ने यह भी कहा कि गणेश जल्द ही एक चैरिटी शो करने वाले हैं, जिसमें बॉलीवुड के 27 बड़े स्टार परफॉर्म करने वाले हैं. यह 27 बड़े स्टार बैकग्राउंड डांसर्स के लिए परफॉर्म करेंगे, जो पिछले 20 वर्षों से इन एक्टर्स के पीछे डांस करते हैं, ना कि हाल ही में बनी हुई IFTEDA एसोसिएशन के लिए. सरोज का यह भी कहना है कि गणेश आचार्य को इस चैरिटी शो से मिलने वाले हुए पैसे को सभी डांसर में बांटना चाहिए.
वहीं गणेश आचार्य का कहना है कि उन पर लगाए गए सारे आरोप बेबुनियाद हैं. उन्होंने कोई भी संस्था नहीं खोली है, बल्कि CDA में कुछ डांसर्स के साथ बदसलूकी हो रही थी. उनकी कोई सुननेवाला नहीं था और इन डांसर्स ने खुद इस एसोसिएशन का निर्माण किया है. मैं सिर्फ इन डांसर्स की मदद कर रहा हूं
ज़ी न्यूज़ से हुई खास बातचीत में गणेश आचार्य ने कहा कि मेरा सिंपल-सा फंडा है कि एसोसिएशन ने जो 4500 हजार का मेहनताना फिक्स किया ह, वह इन डांसर्स को कितने दिन मिलता है? गणेश आचार्य ने कहा कि आमतौर पर वह 30 करोड़ से लेकर 130 करोड़ तक की फिल्में करते हैं. डांसर घर बैठने से अच्छा है कि आएं और परफॉर्म करें. बस में उनका जरिया बनता हूं. आज ऊपर वाले की दया से मेरे पास कई फिल्में हैं. कई सारे प्रोजेक्ट हैं. इसमें वे लोग प्रेसिडेंट है, जिन्होंने कभी डांस ही नहीं किया. 12-14 घंटे जो लोग डांस करते हैं, उन्हीं लोगों को पदों में रखना चाहिए. आप जाहिद, रवि और डेरिक से पूछिए कि उन्होंने कितने साल से डांस नहीं किया है, खुद तो वे लोग डांस करते नहीं, वे क्या डांसर्स का भला करेंगे. मैं जाहिद, रवि और डेरिक से सवाल करता हूं कि उन्होंने नया ऑफिस कैसे खोला और क्या जो पद वहां लोगों को दिए गए हैं, उनके लिए चुनाव हुआ है.
ज़ी न्यूज़ से हुई खास बातचीत में गणेश आचार्य ने कहा कि मैं आज सबसे बिजी कॉरियोग्राफर हूं, मेरे पास बहुत काम है, ये एसोसिएशन बनाकर पैसे नहीं बनाऊंगा. मेरे पिता डांसर थे, मैं डांसर हूं, मुझे डांसर्स से बहुत प्यार है.जाहिद, रवि और डेरिक मुझ पर इसलिए अटैक कर रहे हैं, क्योंकि डांसर्स के साथ मेरे इन्वॉल्वमेंट से उनका खाना बंद हो रहा है, उनका धंधा बंद हो रहा है. इन लोगों को बैठकर खाने की आदत लग गई है, इसलिए मेरे शो करने और IFTEDA में मेरे सहयोग से घबरा रहे हैं, परेशान हो रहे हैं. मुझे उनकी मदद नहीं करनी, जो डांसर्स का पैसा खा रहे हैं, चोर हैं और डांस नहीं करते हैं.
गणेश आचार्य कहते हैं कि मैं सिर्फ कॉरियोग्राफर और डांसर्स की भलाई के लिए IFTEDA में गया था. मेरी हर हफ्ते एक फिल्म रिलीज़ होती है, मेरे पास इतना काम है कि इन बातों के लिए समय नहीं है, लेकिन यहां डांसर्स के हित की बात है, इसलिए खड़ा हूं, ताकि कोई उनका गलत फायदा न उठा ले. जाहिद जैसे लोगों ने CDA जैसी संस्था को बरबाद कर दिया है. IFTEDA में वही लोग जुड़ रहे हैं, जो CDA में थे, वह भी यह ऑफिस लीगल तरीके से खुला है.
वहीं सीडीए से जुड़े हुए मेंबर्स का यह मानना है कि सीडीए उनके लिए काफी काम करता है, जो भी उनकी जरूरत होती है cDA द्वारा पूरी की जाती है. इन लोगों का कहना है कि गणेश आचार्य उनसे उनकी आइडेंटिटी छीन रहे हैं और जब उनके पास एक एसोसिएशन का कार्ड है, जो सबसे पुरानी है तो नए एसोसिएशन का हिस्सा बनने की कोई जरूरत नहीं है. गणेश आचार्य उन्हें फोर्सफुली नए एसोसिएशन का हिस्सा बनने के लिए कह रहे हैं. इसके विपरीत IFTEDA के डांसर्स का यह मानना है कि CDA में उनकी कोई सुनवाई नहीं थी. सीडीए ने उनका दफ्तर, घर, ऑफिस सब छीन लिया. ताला बंद कर दिया गया. अभी भी उन्हें काम करने नहीं दिया जा रहा. उन्हें धमकाया जाता है.
अब मामला यह है कि दोनों ही पक्ष जहां पर अपनी राय रखते हुए नजर आते हैं, वहीं बीच का रास्ता निकालना भी इन्हीं दोनों को है हालांकि गणेश आचार्य का कहना है कि हम पूरी तरह से तैयार हैं. हम चाहते हैं कि दोनों एसोसिएशन मर्ज हो जाएं और डांसर्स का भला हो. वहीं पर CDA के डांसिंग मेंबर्स का यह मानना है कि चुनाव किए जाएं और लीगल तरीके से चेयरमैन, प्रेसिडेंट और बाकी कमेटी मेंबर्स की नियुक्ति हो जिन्हें डांस और डांसर्स की तकलीफ के बारे में समझ हो.
आमतौर पर जब भी दो गुटों,दलों या एसोसिएशन के बीच विवाद होता है, ऐसे में उन एसोसिएशन से जुड़े हुए मेंबर्स को उसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. आज के समय में इसका शिकार बैकग्राउंड में डांस करने वाले यह डांसर हो रहे हैं. घंटों रिहर्सल और घंटों की शूटिंग के बाद भी इनका मेहनताना टाइम पर मिलने की उम्मीद नहीं होती और एसोसिएशन के झगड़ों के बीच यह गेहूं में घुन की तरह पिस जाते हैं. इसका समाधान जरूरी है. इस पूरे मामले को देखकर यही समझ आता है कि शायद समाधान जब दोनों एसोसिएशन एक होंगी और ये लोग डांस और डांसर्स के बारे में सोचेंगे तभी निकलेगा.