राजेश श्रीवास्तव
मुख्यमंत्री जी भले ही हाथरस, बलरामपुर, आजमगढ़ जैसी तमाम घटनाओं को विपक्ष की साजिश, राजनेताओं का वोट बैंक और देश विरोधी साजिश का परिणाम बताया जाये पर यह तो सच ही है कि पिछले चार वर्षों में उत्तर प्रदेश में जिस तरह से घटनाएं बढ़ी हैं वह चिंता का सबब तो हैं ही। अगर आंकड़ों के नजरिये से देख्ों तो यह साफ हो जाता है कि वर्ष 2०15 से वर्ष 2०19 के बीच में ही 97०3 नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म हुआ जिनमें से 988 को दुष्कर्म के बाद मौत के घाट भी उतार दिया गया। सरकार को यह भी याद होगा कि यह आंकड़ा विपक्ष या किसी एजेंसी का नहीं बल्कि बीएसपी एमएलए सुषमा पटेल द्बारा ने जानकारी मांगने पर कि जनवरी 2०15 से अक्तूबर 2०19 के बीच बलात्कार और कत्ल के कितने मामले सामने आए हैं। इसके जवाब में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जानकारी देते हुए बताया कि 97०3 बलात्कार के मामले और 988 कत्ल के मामले इस दौरान दर्ज किए गए हैं। 256०० अपहरण और 26०7 अन्य गंभीर अपराध भी दर्ज किए हैं हैं। एक जनवरी 2०15 से 3० अक्तूबर 2०19 के बीच यूपी में करीब 97०3 नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार के मामले दर्ज किए गए। इन लड़कियों में से 988 लड़कियों को बलात्कार के बाद जान से मार दिया गया। 25,6०० अपहरण और 26०7 अन्य गंभीर अपराध भी दर्ज किए हैं हैं। नाबालिगों के साथ बलात्कार के 97०3 मामलों में से 11०5 मामलों में आरोपियों पर दोष सिद्ध हुआ। 121 और 118 आरोपियों को क्रमश: कत्ल और दूसरे गंभीर अपराधों में दोषी पाया गया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि 189 रेप, 2० कत्ल, 17०4 अपहरण और 76 अन्य गंभीर अपराधों के मामले अभी कोर्ट में हैं। पिछले हफ्ते ही कैबिनेट ने 218 फास्टट्रैक कोर्ट बनाए जाने की घोषणा की थी ताकि बच्चों और महिलाओं के प्रति हो रहे अपराधों की त्वरित सुनवाई हो। यूपी में योगी आदित्यनाथ ने साल 2०17 में सीएम पद की शपथ ली थी और अपराधियों के खिलाफ कड़ी नीति अपनाई थी। उन्होंने कई बार कहा कि हमने पुलिस के हाथ खोल दिए हैं। अपराधी या तो जेल में रहेंगे या फिर उन्हें प्रदेश छोड़ना होगा। पुलिस ने भी एक के बाद एक एनकाउंटर किए और इनमें से कई मुठभेड़ों पर सवाल भी उठे। कई ऐसी तस्वीरें भी सामने आईं जिनमें हाथ में तख्ती लेकर सरेंडर करते अपराधी दिखाई दिए। लेकिन सच यह भी है कि तमाम कवायदों के बाद भी प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति के ये आंकडे काफी चौंकाने वाले हैं। हालांकि 2०15 से 2०17 तक समाजवादी पार्टी का प्रदेश में शासन था और वर्तमान आंकडों में उस वक्त के आंकडे भी शामिल हैं। अब हम सब यह सोचनेे को विवश है ंकि नारी को पूजने वाला देश भारत क्या सही मायनों में नारी को पूजने का हकदार है। एक तरफ जहां भारत में कई देवियों की पूजा की जाती है तो वहीं दूसरी तरफ उसी भारत में हर घंटे 4 से ज्यादा बेटी और महिलाएं बलात्कार का शिकार हो रही हैं। साल 2०12 में हुए निर्भया रेप केस से लेकर 2०17 उन्नाव रेप केस, 2०18 कठुआ रेप केस, कटनी रेप केस और ना जाने कितने रेप के मामलों ने देश भर के लोगों के होश उड़ा दिए। निर्भया कांड के बाद देश में रेप को लेकर कई सारे कानून सख्त कर दिए गए। लोगों में रेप के विरोध को लेकर काफी जागरुकता बढ़ी। निर्भया रेप से आक्रोशित होकर पूरा देश सड़क पर उतर आया था। वहीं सरकार ने 12 से कम उम्र की बच्चियों से रेप पर फांसी का प्रावधान लागू कर दिया तो रेप में अव्वल रहे राज्य एमपी, यूपी, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली जैसे राज्यों में भी फांसी कानून सख्त कर दिए गए, परंतु हालात वैसे के वैसे ही रहे। एनसीआरबी के मुताबिक देश में हर रोज 1०6 रेप की घटनाएं हुईं, जिसमें हर 1 घंटे में 4 से ज्यादा बेटियां रेप का शिकार बनी हैं। क्राइम रिकॉर्ड के आंकड़े यह भी बताते हैं कि बच्चियों के रेप के मामले साल 2०12 से 2०16 तक डबल हो गए हैं। अगर हम राज्यों की बात करें तो एनसीआरबी 2०16 के मुताबिक महिला के खिलाफ हुए अपराध में उत्तर प्रदेश सबसे आगे था। वहीं रेप के आंकड़ो में भी उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर था। 2०16 में यूपी में रेप के 4,816 मामले दर्ज हुए, जिनमें गैंग रेप के 682 मामले और अन्य 4,129 मामले थे। हम सब यह खबरें नहीं लिखना चाहते क्योंकि इन आंकड़ों को जुटाते वक्त इन बच्चियों की चीख्ों हमें विचलित करती हैं। लेकिन हमारा काम है परंतु सरकार को चाहिए कि कम से कम बच्चियां तो खुली हवा में सांस ले सकें।