नई दिल्ली। राज्यसभा में कॉन्ग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल पूरा हो रहा है। उनके सम्मान में आज (फरवरी 9, 2021) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई सांसदों ने विदाई भाषण दिया। इसके बाद जब गुलाम नबी आजाद के बोलने की बारी आई तो उन्होंने कहा कि वो खुशकिस्मत हैं कि पाकिस्तान नहीं गए और उन्हें अपने हिंदुस्तानी मुसलमान होने पर फक्र है।
गुलाम नबी आजाद ने आगे कहा, “मेरी हमेशा ये सोच रही है कि हम बहुत खुशकिस्मत है कि हम जन्नत यानी हिंदुस्तान में रह रहे हैं। मैं तो आजादी के बाद पैदा हुआ। लेकिन आज गूगल के जरिए और यूट्यूब के जरिए मैं पाकिस्तान के बारे में पढ़ता हूँ और देखता हूँ। मैं उन खुशकिस्मत लोगों में से हूँ जो कभी पाकिस्तान नहीं गया। लेकिन जब मैं देखता हूँ कि पाकिस्तान में किस तरह के हालात हैं तो मुझे हिंदुस्तानी होने पर फख्र होता है कि हम हिंदुस्तानी मुसलमान हैं। बल्कि मैं तो कहता हूँ कि आज विश्व में किसी मुसलमान को गौरव होना चाहिए तो वो हिंदुस्तान के मुसलमान को होना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा, “हम पिछले 30-35 सालों से अफगानिस्तान और इराक जैसे देशों को भी देख रहे हैं। दुनिया में ऐसे कई देश हैं जो आपस में लड़ रहे हैं। वहाँ हिंदू या ईसाई नहीं है, वहाँ मुसलमान हैं फिर भी आपस में लड़ाई कर रहे हैं। जो समाज में बुराई हैं, आज हम गौरव से यह कह सकते हैं कि हमारे देश के मुसलमानों में वह बुराईयाँ नहीं हैं।”
जम्मू और कश्मीर के पूर्व सीएम 15 साल पुरानी आतंकी घटना को याद कर भावुक हो गए। उन्होंने कहा, “मैं जब नवंबर 2005 में सीएम था तो दरबार कश्मीर में शिफ्ट हुआ। मई में यह हमला हुआ। उस समय आतंकी ऐसे ही स्वागत करते थे। वह यह एहसास दिलाते थे कि हाँ वो हैं। इस आतंकी हमले के बाद मैं जब हवाई अड्डे पहुँचा और उन बच्चों और परिजनों को देखा जो यहाँ घूमने आए थे, तो मुझे बहुत दुःख हुआ। मुझे लगा कि जो यहाँ घूमने और तफरी करने आए थे, उनके साथ क्या हो गया। उनमें से कुछ बच्चे मेरे पैर से लिपट कर रोने लगे। किसी के पिता गुजर गए थे तो किसी की माँ। मेरी चीख निकल गई। मैं उन्हें कैसे जवाब देता कि जो यहाँ घूमने आए थे, उनके हवाले मैं उनके परिजनों की लाशें दे रहा हूँ।”
उन्होंने कहा कि मेरी दुआ है कि यह आतंकवाद खत्म हो जाए। कश्मीरी पंडितों और अपने 41 साल के संसदीय जीवन को याद कर गुलाम नबी आजाद ने कहा, “गुजर गया वो जो छोटा सा इक फसाना था, फूल थे, चमन था, आशियाना था, न पूछ उजड़े नशेमन की दास्ताँ, न पूछ थे चार दिन के मगर नाम आशियाना तो था।”
इससे पहले राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद की तरीफ करते हुए पीएम मोदी भावुक हो गए। गुलाम नबी आजाद की तारीफ करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जब वह कोरोना महामारी पर सदन में विभिन्न दलों के नेताओं की बैठक बुलाने पर विचार कर रहे थे तब आजाद ने फोन कर उन्हें सभी दलों के नेताओं की बैठक बुलाने का सुझाव दिया था।
पीएम मोदी ने उन्हें एक बेहतरीन मित्र बताते हुए कहा, “सदन के अगले नेता प्रतिपक्ष को आजाद द्वारा स्थापित मानकों को पूरा करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। आजाद ने अपने दल की चिंता जिस तरह की, उसी तरह उन्होंने सदन की और देश की भी चिंता की।”