आपने क्रिकेटर राहुल द्रविड़ का नाम सुना होगा। आप उन्हें ‘द वॉल’ भी कहते होंगे। लेकिन, क्या आप एक ऐसे हॉकी खिलाड़ी को जानते हैं, जिसकी गोलकीपिंग से प्रभावित होकर लोगों ने उसे ‘द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया’ बुलाना शुरू कर दिया। PR श्रीजेश हॉकी की दुनिया में एक ऐसा ही नाम हैं। वो भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान हैं। ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ टोक्यो ओलंपिक सेमीफाइनल में उनके प्रदर्शन की विरोधियों ने भी दाद दी। लेकिन, क्या आपको पता है कि शिवसेना वाले उन्हें पीटने वाले थे?
आपने बिलकुल ठीक पढ़ा है। ये बात अब की नहीं, आज से साढ़े 8 साल पहले की है। जनवरी 2013 में शिवसेना वालों ने उनसे पूछा था – “क्या तुम पाकिस्तानी हो?” अपने ही देश में राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ी के साथ इस तरह का व्यवहार होते देख कर PR श्रीजेश को हैरत हुई, लेकिन उन्होंने जवाब दिया – “यार, तुमलोग अपने भारत के खिलाड़ियों नहीं पहचानते ही नहीं हो तो पाकिस्तानी खिलाड़ियों को कैसे पहचानोगे?”
असल में शिवसेना वाले पाकिस्तानी हॉकी खिलाड़ियों को ढूँढ कर पीटने गए थे। तब शिवसेना ने ‘हॉकी इंडिया लीग’ में पाकिस्तानी खिलाड़ियों के हिस्सा लेने के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था। महिंद्रा हॉकी स्टेडियम में उन्होंने ‘मुंबई मैरीन हॉकी टीम’ को प्रैक्टिस करने से रोक दिया था। वहाँ कोई पाकिस्तानी खिलाड़ी नहीं था। लेकिन, शिवसेना के 150 उपद्रवी जमा हो गए और उन्होंने ड्रेसिंग रूम में जाने की जिद ठान दी।
फिर भी वो खुद से जाकर जाँच करने की बात कहने लगे। जब वो गए तो उन्हें PR श्रीजेश मिले, जिनसे शिवसेना वालों ने पूछा कि क्या तुम पाकिस्तानी हो? PR श्रीजेश का कहना है कि ये सब उन्हें काफी हास्यास्पद लगा था। वहाँ शिवसेना वालों के आने से पहले 4 पाकिस्तानी खिलाड़ी थे, लेकिन उन्हें पहले ही कहीं और सुरक्षित पहुँचा दिया गया था। PR श्रीजेश का कहना था कि एक भारतीय खिलाड़ी को पाकिस्तानी कहा जाएगा, इसकी उन्हें उम्मीद नहीं थी।
Old news but hilarious. Shivsena people beat up Indian hockey player thinking he is a Pakistani player. They surrounded Sreejish when the latter retorted “tum log apne hi players ko nahi pehchanate?” 😂😂https://t.co/0TJYsaBscF
— Kaal Chiron काल्किरण (@Kal_Chiron) August 3, 2021
अब टोक्यो ओलंपिक में इन्हीं PR श्रीजेश ने धमाल मचाया। आज से 12 वर्ष पहले वो भारतीय टीम में जगह के लिए निश्चित नहीं थे, लेकिन तब गोलकीपर रहे बलजीत सिंह को उनकी प्रतिभा के बारे में पता था। 2009 में कॉमनवैल्थ गेम्स से पहले एक दुर्घटना में बलजीत की पुणे में प्रशिक्षण के दौरान उनकी दाईं आँख की रोशनी चली गई थी। उनकी जगह PR श्रीजेश को लाया गया। आज आँखों में आँसू लेकर बलजीत कहते हैं कि उन्होंने सही प्रतिभा की पहचान की थी।
PR श्रीजेश अकेले ऐसे खिलाड़ी थे, जो ड्रेसिंग रूम में बलजीत से काफी सवाल किया करते थे। उनका कहना है कि केरल में जन्मे श्रीजेश न सिर्फ इस खेल की अच्छी समझ रखते हैं, मैदान पर वो एक अच्छे लीडर भी हैं। जब टोक्यो ओलंपिक क्वार्टरफाइनल में कप्तान मनप्रीत सिंह 6 मिनट के लिए खेल से बाहर हुए थे, तब PR श्रीजेश ने ही टीम को संभाला और आत्मविश्वास भरा। पिछले एक दशक से वो फ्रंट लाइन पर हैं, ऐसे में भारत को जल्द ही भविष्य के लिए उनका रिप्लेसमेंट भी ढूँढना है।