नई दिल्ली। मणिपुर में दो महिलाओं की न्यूड परेड कराने का वीडियो सामने आने के बाद राज्य में हिंसा का मामला गरम है। महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न, मारपीट जैसी घटनाएं अब चर्चा में हैं। इसे लेकर सोमवार को अदालत में सुनवाई हुई तो चीफ जस्टिस ने केंद्र और मणिपुर सरकार से हिसाब मांग लिया कि अब तक ऐसे कितने मामले सामने आए हैं। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा वीडियो सामने आ गया है, लेकिन महिलाओं के उत्पीड़न का यह अकेला मामला नहीं है। कई और महिलाओं के साथ ऐसा हुआ है। यह अकेली घटना नहीं है।
उन्होंने केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि हमें एक ऐसा मेकेनिज्म बनाना होगा, जिसमें महिलाओं के साथ हुई हिंसा और उत्पीड़न की घटनाओं का समाधान निकाला जा सके। इस मेकेनिज्म के तहत यह तय हो कि पीड़ितों को न्याय मिल जाए। इस दौरान दो महिलाओं का पक्ष रख रहे कपिल सिब्बल ने कहा कि पीड़ितों का कहना है कि केस को मणिपुर से बाहर न भेजा जाए। इसके अलावा वे सीबीआई जांच के भी विरोध में हैं। इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि हमने कभी यह बात नहीं कही कि ट्रायल को असम या फिर किसी और राज्य में ट्रांसफर किया जाए। हमने यह कहा है कि केस को मणिपुर से बाहर भेजा जाए।
तुषार मेहता ने कहा कि मामले की सुनवाई कहां होनी चाहिए, यह फैसला तो सुप्रीम कोर्ट को ही करना है। इस बीच चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें पहले तो यह जानना जरूरी है कि अब तक कितने मामले सामने आए हैं और कितने केस यौन उत्पीड़न के हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा कि 3 जुलाई से अब तक कितने मामले दर्ज हुए हैं। गौरतलब है कि पिछले दिनों एक वीडियो सामने आया था, जिसमें दो महिलाओं के कपड़े उतारकर उनकी परेड कराते देखा गया था। इस वीडियो सैकड़ों लोग मौजूद थे। वीडियो सामने आने के बाद देश भर में गुस्सा दिखा और संसद में भी इस पर लगातार हंगामे का दौर जारी है।