यूपी के भू-माफियाओं के आगे योगी का बुल्डोजर पस्त

यूपी के भू-माफियाओं के आगे योगी का बुल्डोजर पस्त

40 मुकदमे, 500 करोड़ रुपए की रेलवे की जमीन बेची

क्या योगी के बुलडोजर में दोबारा डीजल डलेगा और एनकाउंटर का असर मेरठ के गुंडो और भू-माफिया पर दिखेगा?

राजेश श्रीवास्तव

एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश से गुंडों का एनकाउंटर और भू-माफियाओं का बुल्डोजर से सफाया करने में लगे हैं, वहीं कुछ गुंडे और भू-माफिया ऐसे भी हैं, जिनके आगे सीएम योगी का बुल्डोजर पस्त है क्योंकि उनके सिर पर कुछ भाजपा नेताओं का हाथ है इसलिए योगी का प्रशासन उनका कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा है। मेरठ में भी कुछ ऐसे भू-माफिया हैं, जो अपनी गुंडागर्दी के दम पर न सिर्फ योगी सरकार को चुनौती दे रहे हैं, बल्कि सीएम योगी के सुशासन और गुंडाराज मुक्त उनकी सोच पर भारी पड़े हुए हैं। कुछ भाजपा नेताओं की बदौलत ये भू-माफिया मेरठ प्रशासन को भी नाच नचाते और मनमानी करते नज़र आ रहे हैं। स्थानीय लोग और कुछ पीड़ित बताते हैं कि प्रशासन इन भू-माफिया के आगे पानी भरता है। कुछ पीड़ित किसानों का कहना है कि मेरठ में भू-माफिया ने कई किसानों और सरकार की जमीनों को भी हड़प लिया है, जिसकी वजह से एक किसान ने कुछ साल पहले आत्महत्या तक कर ली थी। इन भू-माफियाओं ने गुंडागर्दी के दम पर न सिर्फ किसानों की जमीनों पर कब्जा कर लिया है, बल्कि धमकी देते हैं कि उनका कुछ बिगाड़ने वाला कोई माई का लाल आज तक दुनिया में पैदा नहीं हुआ है। तो क्या माना जाए कि भू-माफियाओं की ये धमकी सीधे-सीधे योगी की जीरो टॉलरेंस सुशासन व्यवस्था और उनके प्रशासन को चुनौती देने जैसा है?

दरअसल, मेरठ के कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र के रहने वाले कथित बिल्डर और भू-माफिया अखिलेश, भू-माफिया रमेश यादव ने स्थानीय किसान सुशील, विरेंद्र, जगत सिंह और बलजीत सिंह गांव नंगला ताशी, थाना कंकरखेड़ा, जिला मेरठ की जमीन, जिसका खसरा संख्या 616 है, पर कब्जा करने की नीयत से उनकी न्यायालय के निर्देश पर बनाई गई दीवार को तोड़कर उनका खेती-बाड़ी का सामान और कृषि यंत्र फेंक दिए और पीछे में अपनी प्लाटिंग की जमीन का रास्ता जो तीर्थकुंज का रास्ता शामली हाइवे पर निकालने की नियत है, इन भू-माफियाओं ने अपना रास्ता होने के बावजूद किसान परिवार की जमीन छीनने की नीयत से उनकी दीवार तोड़कर एक और रास्ता निकाल लिया है, जिसकी शिकायत पीड़ित किसानों ने कंकरखेड़ा थाने के अलावा जिले के तमाम अधिकारियों से भी की, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि ज़िला प्रशासन दबाव में कार्रवाई करने में नाकाम है। इसके बाद पीड़ित किसानों ने मजबूरन प्रदेश के मुख्य सचिव को 24 जून 2024 को भी अपनी पीड़ा एक पत्र लिखकर बताई, जिस पर मुख्य सचिव ने मेरठ के जिलाधिकारी, मेरठ मंडल के अपर आयुक्त को संज्ञान लेने के लिए निर्देशित किया, पीड़ित किसानों ने बताया कि इस मामले में मेरठ मंडल के कमिश्नर द्वारा आदेश के बाद पुलिस सुरक्षा में उनकी जमीन की तारबंदी और दीवार कराई गई, लेकिन भू-माफिया अखिलेश और रमेश यादव अंपने गिरोह के मिलकर ने उसे जबरन तोड़ दिया। पीड़ित किसानों ने फिर पुलिस और स्थानीय प्रशासन से इस बारे में बार बार गुहार लगाई, लेकिन जब कुछ नहीं हुआ तो तंग आकर किसान रुपेश पवार ने साल 2021 में वाद संख्या 1293/2021 न्यायालय सिविल जज (सीडी), मेरठ में दर्ज किया, जिसके आधार पर 27 अक्टूबर 2021 को न्यायालय ने भू-माफियाओं को उक्त किसान परिवार की जमीन पर कब्जा और हस्तक्षेप न करने का आदेश पारित किया था। जब भू-माफियाओं ने न्यायालय से इस मामले में हस्तक्षेप के लिए याचिका दायर की, तो न्यायालय ने उनकी याचिका को निरस्त कर दिया। इसके बावजूद भू-माफियाओं ने किसान परिवार की जमीन में से रास्ता बनाए रखने दबाव बना रहा है और जमीन के एक बड़े हिस्से पर अपना कब्जा जमाना चाहता है। इस मामले में उपजिलाधिकारी के पत्रांक-667/एसटी/एसडीएम ने 1 अगस्त 2024 को जिलाधिकारी को पत्र लिखकर भी बताया कि उक्त जमीन किसान परिवार की है, लेकिन इसके बावजूद भृ-माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही किसान परिवार की जमीन भू-माफिया के कब्जे से मुक्त कराई गई। आज़ तक भू-माफियाओं के खिलाफ न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही पीडितों की दीवार बनाने की पुलिस प्रशासन और कोई अधिकारी हिम्मत दिखा पाया।

ग्राम वासियों और पीडित किसानों ने बताया कि भू-माफिया अखिलेश और भू-माफिया रमेश यादव समेत कई अन्य भू-माफियाओं पर क़रीब 47 यानि चार दर्जन मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से रेलवे समेत सरकारी महकमों की क़रीब 500 करोड़ की जमीन कब्जा करके बेचने पर 2022 में मेरठ एफआईआर दर्ज़ हुई, जिसमें जमीन की पूरी खसरा खतौनी सहित पूरी जानकारी देने बावजूद, इन भू-माफियाओं के खिलाफ न तो कोई गुंडा एक्ट लगा, न इनके किसी निर्माण पर बुलडोजर की कार्रवाई हुई, न कोई चार्जशीट दाखिल हुई है और न ही इनके खिलाफ कोई अन्य कार्रवाई हुई है। दूसरी तरफ दो साल पहले भू-माफिया अखिलेश, भू-माफिया रमेश यादव, भू-माफिया सचिन, देवेंद्र निवासी दायमपुर, अशोक मारवाड़ी, नरेश, सुखपाल और अन्य भू-माफिया ने एक भाजपा नेता जो कि स्वयं भी भू-माफिया है के साथ मिलकर मेरठ नगर निगम, मेरठ विकास प्राधिकरण, भारतीय रेलवे और ग्राम समाज की जमीन हड़पकर उसे करीब 500 करोड़ रुपए से ज्यादा में बेच दिया। इस मामले में इन सभी भू-माफियाओं के खिलाफ आपराधिक धाराओं-420, 447, 467, 468, 471 और 120बी के तहत मुकदमा भी दर्ज हुआ। लेकिन इसके बावजूद इन लोगों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। इसी तरह साल 2019 में एक किसान ने इन भू-माफिया के द्वारा जमीन छीने जाने पर जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी, लेकिन इन भू-माफियाओं का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सका। इस मामले में मेरठ के गांव नंगला ताशी निवासी दलित किसान कमल सिंह ने अपनी खेती की जमीन भू-माफिया अखिलेश, सचिन गुप्ता और नीरज को बेची थी। इसमें मुख्य खरीददार भू-माफिया अखिलेश था। आरोप है कि इन भू-माफियाओं ने किसान की जमीन पर चालाकी से कब्जा लेकर कूट रचित दस्तावेज़ तैयार कर जमीन को बेच दिया। जिससे तंग आकर किसान ने आत्महत्या कर ली। इन सभी भू-माफियाओं के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज हुई थी, लेकिन किसान की मौत के जिम्मेदार होने के बावजूद योगी सरकार के माफिया को मिट्टी में मिलाने वाले दावे के बावजूद इन माफियाओं का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सका। कंकरखेड़ा निवासी कुछ लोगों से जब इस बारे में पूछताछ की गई, तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मेरठ में इन भू-माफियाओं की तूती बोलती है। इन सभी की गुंडागर्दी चरम पर है। कुछ लोगों ने बताया कि ये भू-माफिया ही नहीं हैं, बल्कि छटे हुए बदमाश हैं, जो अपनी गुंडागर्दी के दम पर कई काले कारनामे मेरठ में कर रहे हैं। मेरठ के कुछ भाजपा नेताओं की मिलीभगत के चलते इन पर पुलिस प्रशासन तो क्या, डीएम, एसडीएम और एसपी भी कोई कार्रवाई करने से डरते हैं। एक व्यक्ति ने बताया कि भू-माफिया धमकी देता है, तो सरकार को भी ठेंगे पर रखने की बात कहता है। ये सब तो लोगों के दावे हैं, जिन पर हम कोई दावा नहीं कर सकते, लेकिन जो तथ्य और कागजात हमारे हाथ इस खबर की पड़ताल करने में लगे हैं, वो बताते हैं कि मेरठ में इन भू-माफियाओं के खिलाफ तकरीबन 47 से ज्यादा एफआईआर, प्रशासनिक शिकायतें और मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन इन भू-माफियाओं का आज तक कोई कुछ नहीं बिगाड़ सका है और ये सब मिलकर आज भी बेधड़क होकर योगी के सख्त प्रशासन और भू-माफिया व गुंडों के खिलाफ हो रहे एक्शन के बावजूद अपने अवैध धंधे कर रहे हैं। गांव नगलाताशी की एक दलित महिला पूजा पत्नी स्वर्गीय सत्यवान ने बताया कि उसकी ज़मीन पर भूमाफिया अखिलेश के द्वारा कब्जा किया हुआ है। एफआईआर होने और अदालत के कब्ज़ा मुक्त आदेश के बावजूद प्रशासन दलित महिला की ज़मीन दिलाने में भूमाफिया के सामने बेबस नज़र आता है।

दरअसल अब जो नया मामला सामने आया है, उसमें पता चला है कि भूमाफिया अखिलेश और उसके अन्य साथी भूमाफियाओं ने नगर निगम, रेलवे, मेरठ प्राधिकारण और अन्य सरकारी व किसानों की जमीनों पर कब्जा करके बेचने के बाद अब रास्ते और चकरोड की जमीनों को भी कब्जा करके बेचना शुरू कर दिया है। इस काम में भूमाफिया अखिलेश और उसके गिरोह के कई भूमाफिया और गुंडे शामिल हैं, जिन पर पहले से ही थानों और न्यायालयों में आपराधिक धाराओं-420, 447, 467, 468, 471 और 120बी समेत कई दूसरी गंभीर धाराओं के तहत मुकदमे भी दर्ज हैं, लेकिन फिर इन भूमाफियाओं का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा है। अखिलेश किसान जगत सिंह निवासी ग्राम नंगलाताशी की जमीन भी औने पौने दाम में हड़पना चाहता है। अखिलेश ने अपनी गुंडागर्दी के दम पर नंगलाताशी गांव की खसरा संख्या 590 व 591, जो कि नगर निगम में आती है, उस पर भी कब्जा कर नाली व चकमार्ग को हड़पकर कच्ची कालोनी काट दी है। आरटीआई द्वारा मांगी गई रिपोर्ट जांच में पाया गया है कि खसरा संख्या 590 व 591 नाली और चकमार्ग के हैं, जिसकी मौके पर नक्शा नजरी की रिपोर्ट किसान परिवार ने आरटीआई से प्राप्त की है। भूमाफियाओं ने यहां गेट बंद करके खड्डा खोदकर किसानों का रास्ता भी बंद कर दिया है। रास्ता बंद करने के अलावा भूमाफियाओं ने सरकारी जमीन में प्लाट काटकर कच्ची कॉलोनी बना रखी है। किसानों ने इसकी जानकारी 20 नवंबर 2024 को 4:15 बजे के करीब 112 नंबर डायल करके भी दी है, लेकिन अभी तक इन भूमाफियाओं पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसके अलावा किसानों ने आयुक्त मेरठ मंडल, जिलाधिकारी मेरठ, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मेरठ, नगर आयुक्त मेरठ, थाना अध्यक्ष कांकरखेड़ा मेरठ को भी जानकारी दी है।

बहरहाल स्थानीय नागरिकों और किसानों का यह भी कहना है कि कुछ सरकारी जमीन को तो बेचे हुए दो साल से ज्यादा का समय हो गया, जांच के भी आदेश पारित हुए, क़रीब दो दर्जन रिमाइंडर और नक्शा-8 के बावजूद इन भू-माफिया का कोई भी बाल बांका नहीं कर सका। पीड़ित किसानों ने बताया कि सभी भू-माफियाओं की नजर अभी भी अन्य किसानों और खाली पड़ी सरकार की जमीनों पर है, जिसे मौका लगते ही कब्जा करके वो बेचने में लगे हैं। मेरठ के भू-माफिया अखिलेश के बारे में कहा जाता है कि वो कभी कपड़े सिलने वाला एक मामूली सा दर्जी था, लेकिन उसने अपराध की दुनिया में कदम रखने के बाद आज करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया है। इसी प्रकार से दूसरे भू-माफिया भी गुंडागर्दी के दम पर पनपे हैं। सवाल ये है कि सीएम योगी के 7 सालों के शासनकाल में भी इन भू-माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई, जबकि इन भू-माफियों के खिलाफ कोई एकाध सबूत नहीं है, बल्कि रेलवे से लेकर नगर निगम, मेरठ विकास प्राधिकरण, ग्राम समाज और कई किसानों की रिपोर्टों और मुकदमों से पता चलता है कि प्रशासनिक कार्रवाई इन अपराधियों के खिलाफ न होने के पीछे कोई बड़ी ताकत काम कर रही है, जो योगी के सुशासन को भी धत्ता बता रही है। इन भू-माफिया के खिलाफ किसानों की जमीनें हड़पने, सरकारी जमीनें भी कब्जा करके बेचने, हत्या, हत्या की धमकी, मारपीट के आलावा दूसरी कई आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज हैं। इनमें रमेश यादव का बेटा अंकुर यादव तो अंतरिक्ष नाम के एक पुलिस सब इंस्पेक्टर के बेटे की हत्या भी कर चुका है। इस मामले में अंकुर यादव को उम्रकैद की सजा भी हुई थी, लेकिन पैसे, दबंगई और भाजपा में पहुंच के चलते, उसे जमानत मिल गई और आज अंकुर यादव उसी रौब और गुंडागर्दी के साथ भू-माफियाओं के साथ मिलकर अपने अवैध धंधे कर रहा है। और ज़िला प्रशासन सीएम योगी की न्यायिक कानून व्यवस्था को पलीता लगाने का काम बखूबी कर रहा है। प्रदेश की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री योगी आगामी उपचुनाव में 10 सीटें जीतने का दावा तो कर रहे हैं। लेकिन इधर कमजोर पड़ती कानून व्यवस्था और खत्म होता बुलडोजर का डीजल माफिया और गुंडो के हौसले बुलंद कर रहा है। क्या योगी के बुलडोजर में दोबारा डीजल डलेगा और एनकाउंटर का असर मेरठ के गुंडो और भू-माफिया पर दिखेगा?

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