नई दिल्ली। बीजू जनता दल (BJD) के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की. यह मुलाकात महाराष्ट्र के पुणे में शरद पवार के घर पर हुई है. इस मुलाकात की तस्वीरें मीडिया में आने के बाद से ही अटकलों का बाजार गर्म हो गया है. राजनीतिक गलियारे में चर्चा शुरू हो गई हैं कि क्या एनसीपी प्रमुख शरद पवार कोई राजनीतिक समीकरण बिठाने में लगे हैं. क्या वह लोकसभा चुनाव (Lok sabha elctions 2019) से पहले विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. शरद पवार के हालिया बयानों और विभिन्न पार्टी के नेताओं के साथ उनकी बैठकों और उनके बयानों पर एक नजर डालकर राजनीति के मायने समझने की कोशिश करते हैं.
नारायण राणे से मिले शरद पवार: 3 दिसंबर को शरद पवार और महाराष्ट्र स्वाभिमान पार्टी (MSP) के प्रमुख नारायण की मुलाकात हुई थी. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे कोंकण इलाके के कद्दावर नेता माने जाते हैं. हाल ही में कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी बनाई. शरद पवार की पार्टी महाराष्ट्र में ही सबसे ज्यादा ताकतवर है. पिछले चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं होने के चलते 2019 के लोकसभा चुनाव में यह पार्टी मजबूती के साथ उतरने की कोशिश में है. इस लिहाज से नारायण राणे और शरद पवार की बैठक के कई मायने हो सकते हैं.
चंद्रबाबू नायडू और फारुख अब्दुल्ला से मिले थे पवार: इसी साल नवंबर में आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के सुप्रीमो एन चंद्रबाबू नायडू और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला की मुलाकात शरद पवार से मुलाकात की थी. इस बैठक में 2019 के लोकसभा चुनाव में गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस के गठबंधन की संभावनाओं पर चर्चा हुई थी.
भी मुलाकात हुई थी.
डिनर में विपक्षी नेताओं को एक मंच पर ला चुके हैं पवार: इसी साल मार्च में कांग्रेस के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने डिनर का आयोजन किया था. इस डिनर में उन्होंने 19 विपक्षी दलों के नेताओं को बुलाया था.
शरद पवार ने खुलकर किया राहुल गांधी के नेतृत्व का समर्थन
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद भी जहां सपा, टीएमसी जैसे दल राहुल गांधी को महागठबंधन का नेता मानने से साफ इनकार करते दिखे वहीं शरद पवार इन दलों को सलाह देते दिखे. शरद पवार ने बुधवार को कहा कि लोगों ने बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार के नीतियों को खारिज कर दिया है. बुधवार को 78 साल के हुए शरद पवार ने कहा कि उनका दल कांग्रेस का समर्थन देगा. उन्होंने सुझाव दिया कि समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को भी राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार कर लेना चाहिए. पीएम नरेंद्र और बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकजुटता के प्रयास को सोमवार को उस वक्त झटका लगता दिखाई दिया जब शीतकालीन सत्र से पहले बुलाई गई् विपक्ष की महत्वपूर्ण बैठक में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ.
बैठक में शामिल नहीं होने को लेकर फिलहाल सपा और बसपा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. दूसरी तरफ, बैठक में शामिल हुए विभिन्न दलों के नेता भी सपा और बसपा की अनुपस्थिति पर कुछ बोलने से बचते नजर आए.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने बिना शर्त बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान किया था. वहीं अब शरद पवार सीधे तौर से बीजेपी पर हमले कर रहे हैं. तीन राज्यों के विधानसभा सभा चुनावों में बीजेपी की हार के बाद राकांपा के प्रमुख शरद पवार ने बुधवार को कहा कि अगर बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर के मुद्दे को उठाती है तो उसे इस बार इसका फायदा नहीं मिल पाएगा. पवार ने आरोप लगाया कि बीजेपी मंदिर मुद्दे पर सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने की कोशिश कर सकती है जो चिंता की बात है.
बीजेपी पर आरएसएस, उसके गठबंधन सहयोगी शिवसेना और हिंदू संगठनों का दबाव है और वे राम मंदिर के निर्माण के लिये संसद में कानून बनाने या अध्यादेश लाने की मांग कर रहे हैं. पवार ने कहा, ‘राम मंदिर के मुद्दे का पहले एक बार इस्तेमाल किया गया था और बीजेपी को उसका फायदा हुआ था. अगर वह (बीजेपी) यह मुद्दा दोबारा उठाती है, तो लोग इसे दूसरी बार स्वीकार नहीं करेंगे…लिहाजा, मैं नहीं मानता कि इससे (राम मंदिर मुद्दा से) बीजेपी का दोबारा फायदा होगा.’
शरद पवार के इन मुलाकातों के कई राजनीतिक मायने निकाले जाने की वजह है. कई विपक्षी दल राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार नहीं कर रहे हैं. शरद पवार एक ऐसा चेहरा हैं जिनकी लगभग सभी पार्टियों में पहुंच मानी जाती है. माना जा रहा है कि अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन सरकार की नौबत आती है तो ऐसे में शरद यादव अपनी दावेदारी मजबूती से पेश कर पाएंगे.