झारखंड में सियासी संकट गहराया, महागठबंधन के विधायकों को छत्तीसगढ़ में शिफ्ट करने की तैयारी

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज लगातार दूसरे दिन विधायक दल की बैठक बुलाई. इस बैठक में महागठबंधन यानी आरजेडी और कांग्रेस के विधायकों को भी बुलाया गया है. हेमंत सोरेन ने सुबह 11 बजे से मीटिंग रखी थी, मीटिंग में शामिल होने के लिए विधायकों का पहुंचना शुरू हो गया है. विधायकों की गाड़ी में कपड़ों से भरे हुए बैग और सामान भी दिखाई दिया है.

झारखंड के यूपीए विधायकों को छत्तीगढ़ भेजा जा सकता है. कुछ विधायक मुख्यमंत्री आवास पर बैग और सामान लेकर पहुंचे हैं. इसी को देखते हुए अटकलें लगाई जा रही हैं कि विधायकों को ऐसे प्रदेश में शिफ्ट किया जा सकता है, जहां यूपीए की मजबूत सरकार है. ऐसे में छत्तीसगढ़ में ही विधायकों की शिफ्टिंग की अटकलें लगाई जा रही हैं.

हेमंत सोरेन की कुर्सी पर खतरा

हेमंत सोरेन की मुख्यमंत्री की कुर्सी जा सकती है, जिसके बाद विधायकों की बैठक तीन बार बुलाई जा चुकी है. दरअसल खनन पट्टे के मामले में चुनाव आयोग ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट झारखंड के राज्यपाल को भेज दी है. इसमें मुख्यमंत्री हेमंत को विधायक पद के लिए अयोग्य ठहराया है. यानी उनकी विधायकी रद्द करने की सिफारिश की है. इसी बीच सीएम हेमंत सोरेन ने भी अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यह आदिवासी का बेटा है. इनकी चाल से हमारा रास्ता न कभी रुका है, न हम लोग कभी इन लोगों से डरे हैं.

सोरेन ने किया था ट्वीट

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने बहुत पहले ही हमारे मन से डर-भय को निकाल दिया था. हम आदिवासियों के DNA में डर और भय के लिए कोई जगह ही नहीं है. साथ ही सीएम सोरेन ने कहा कि “शैतानी ताकतें” लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही हैं. लेकिन वह अपने खून की आखिरी बूंद तक लड़ेंगे.

लातेहार में एक सरकारी समारोह में सोरेन ने कहा कि वह चिंतित नहीं हैं, क्योंकि उन्हें राज्य पर शासन करने का जनादेश लोगों ने दिया है न कि उनके विरोधियों ने. उन्होंने कहा कि हमारे विरोधी संवैधानिक संस्थानों का दुरुपयोग कर रहे हैं, वह राजनीतिक रूप से हमारे साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं हैं. वे हमारी सरकार को अस्थिर करने के लिए  ED, CBI, लोकपाल और Income Tax का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन हम इससे कतई चिंतित नहीं हैं.

क्या है पूरा मामला?

हेमंत सोरेन को रांची जिले के अनगड़ा ब्लॉक में 0.88 एकड़ ज़मीन का खनन पट्टा मिला था. दस्तावेजों के मुताबिक 28 मई 2021 को हेमंत सोरेन ने आवेदन दिया और उन्हें 15 जून 2021 को मंजूरी मिल गई थी. इसके बाद 9 सितंबर को पर्यावरण विभाग से मंजूरी मांगी गई जो 22 सितंबर को मिल गई. 11 फरवरी 2022 को बीजेपी ने राज्यपाल से मिलकर शिकायत की कि ये लाभ के पद का मामला बनता है और सीएम खुद के नाम से खनन पट्टा नहीं ले सकते. इसके बाद हेमंत सोरेन ने 11 फरवरी 2022 को लीज सरेंडर करके खुद को अलग कर लिया.

खनन के धंधे में हेमंत सोरेन सरकार के भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ तब होना शुरू हुआ जब झारखंड की खनन सचिव रह चुकी पूजा सिंघल के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी शुरू की. ईडी को पूजा सिंघल के सीए सुमन कुमार के एक ही ठिकाने से साढ़े सत्रह करोड़ रुपये नकद मिले थे. ये रकम इतनी ज्यादा थी कि गिनने में 14 घंटे का वक्त लग गया था. ईडी सूत्रों के हवाले से दावा किया गया कि पूजा सिंघल और उनके करीबियों के करीब 150 करोड़ रुपये के निवेश का खुलासा हुआ और कई अहम दस्तावेज भी मिले.

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