हाई डेंजर, डेंजर और जनरल.. जोशीमठ में कुछ बचने वाला नहीं? दरारों में समाते शहर को यूं बचाने में जुटी सरकार

देहरादून। उत्तराखंड के जोशीमठ में भूधंसाव से सारे देश में टेंशन बना हुआ है। यहां मकानों, सड़कों और खेतों में दरारें बढ़ती जा रही हैं। स्थानीय लोगों को संकट से बचाने के लिए प्रशासन ने भी तैयारियां तेज कर दी हैं। गंभीर रूप से प्रभावित इलाकों से लोगों को बाहर निकाला जा रहा है। चमोली जिला प्रशासन ने खतरे की तीव्रता के आधार पर जोशीमठ शहर को 9 जोन में बांटा है। इन जोन्स पर एसडीआरएफ, सिविल पुलिस और स्थानीय प्रशासन समेत 9 टीमें नजर रख रही हैं। इसके अलावा, केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की एक टीम समेत दो केंद्रीय टीमों के जल्द ही शहर पहुंचने की उम्मीद है। सरकार ने हेलीकॉप्टरों को भी अलर्ट मोड पर रखा है।

सचिव सीमा प्रबंधन डीएस गंगवार के नेतृत्व में केंद्रीय टीम जल्द ही जोशीमठ पहुंचेंगी और उत्तराखंड सरकार और एनडीएमए की ओर से नियुक्त विशेषज्ञों के साथ परामर्श करेंगी। सेंट्रल टीम जोशीमठ के प्रभावित इलाकों का दौरा करेगी और अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेगी। केंद्र सरकार ने इलाके से लोगों की निकासी और उनकी मदद के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की एक टीम और एसडीआरएफ की 8 टीमों को तैनात किया है। इसके अलावा जमीन के धंसने के कारणों का पता लगाने के लिए अलग-अलग संस्थानों के भूवैज्ञानिक भी जोशीमठ में डेरा डाले हुए हैं।

जोशीमठ आपदा के तीन जोन
उत्तराखंड राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के कमांडेंट मणिकांत मिश्रा भी जोशीमठ में मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि हमने जोन को 3 कैटिगरी- हाई डेंजर, डेंजर और जनरल डेंजर में बांटा है। हाई डेंजर कैटिगरी का मतलब ऐसे इलाकों से है जहां इमारतों में दरारें दिखने के कारण गंभीर संकट है। उन्होंने कहा कि हमने ऐसे इलाकों से लोगों को बाहर निकालना शुरू कर दिया है। कम खतरे वाली श्रेणी में हमने ऐसे क्षेत्रों की पहचान की है, जहां इमारतों में मामूली दरारें हैं।

निर्माण कामों पर लगी रोक
मिश्रा ने कहा कि अब तक 603 घर दरारों से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। 68 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित किया गया है और प्रभावित परिवारों को विस्थापित करने के लिए 229 राहत शिविर बनाए गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि प्रभावित परिवारों को 51 भोजन किट और कंबल भी बांटे गए हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि एनटीपीसी तपोवन विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना के तहत निर्माण काम और बीआरओ के तहत हेलंग बाईपास के निर्माण काम को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है। जोशीमठ नगरपालिका के तहत निर्माण कार्यों पर भी रोक लगा दी गई है।

रोजाना होगी राहत-बचाव कामों की समीक्षा
बता दें कि जोशीमठ की आबादी लगभग 20,000 है, जिसमें से लगभग 4,000 लोग हादसे से प्रभावित बताए जाते हैं। सोमवार को मुख्य सचिव एसएस संधू ने देहरादून में राज्य सचिवालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की। बताया गया कि संधू रोजाना दोपहर 12 बजे समीक्षा बैठक करेंगे। आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव रंजीत सिन्हा के मुताबिक, दो होटल – माउंट व्यू और मलारी इन को बुरी तरह से प्रभावित बताया गया है। उन्होंने कहा कि दोनों होटलों को ध्वस्त किया जाएगा।

तकनीकी संस्थानों से मदद लेगी टीमें
अपरदन को रोकने के लिए राज्य प्रशासन तत्काल सुरक्षा उपाय करने की योजना बना रहा है। इसके लिए तकनीकी संस्थानों से भी मदद ली जाएगी। सरकार ने राहत कार्य के उचित प्रबंधन के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक टीम गठित करने का भी निर्णय लिया है। जोशीमठ जल निकासी योजना के टेंडर 13 जनवरी को खोले जाएंगे।

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