‘2023 में पाकिस्तान के हो सकते हैं टुकड़े, भारत चाहे तो कर दे चढ़ाई’, क्यों बोले प्रोफेसर मुक्तदर खान?

नई दिल्ली। हर क्षेत्र में पिछड़ते पाकिस्तान की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. विदेशी मदद के बाद भी ऐसा नहीं लगता कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में जल्द किसी तरह का सुधार होगा. महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार से परेशान लोग सरकार की आलोचना कर रहे हैं. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के कुछ लोग तो भारत के लद्दाख के साथ आने के लिए कई दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इन सभी घटनाक्रमों को देखते हुए कई विश्लेषक मानने लगे हैं कि पाकिस्तान की स्थिति में जल्द ही कोई सुधार नहीं हुआ तो पाकिस्तान बिखर जाएगा.

अमेरिका की डेलावेयर यूनिवर्सिटी में इस्लामिक स्टडीज प्रोग्राम के फाउंडिंग डायरेक्टर प्रोफेसर मुक्तदर खान का कहना है कि पाकिस्तान के ऊपर फिलहाल छह संकट मंडरा रहे हैं जो उसे तोड़ कर रख सकते हैं. उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान फिलहाल हर तरह से संकट में है और अगर भारत चाहे तो जंग का ऐलान कर पीओके और बाकी इलाकों को अपने में मिला सकता है.

प्रोफेसर ने अपने एक वीडियो में बताया कि छह संकट हैं जो पाकिस्तान को टुकड़ों में बांट सकते हैं. उनके अनुसार, वो संकट हैं- राजनीतिक संकट, आर्थिक संकट, सुरक्षा का संकट, सिस्टम का संकट, पहचान का संकट और पर्यावरण संकट. मुक्तदर खान ने कहा है कि साल 2023 में इन संकटों की वजह से हो सकता है कि पाकिस्तान के टुकड़े-टुकड़े हो जाएं या देश की सारी सरकारी संस्थाएं नाकाम हो जाएं.

वो कहते हैं, ‘अगर ऐसा होता है तो हजारों-लाखों रिफ्यूजी वहां से निकलेंगे और पूरी दुनिया में जाएंगे. खासतौर से, भारत पर इसका असर होगा.’

राजनीतिक संकट

राजनीतिक संकट को लेकर प्रोफेसर ने कहा, ‘इमरान खान को सत्ता से हटाने के बाद पाकिस्तान में राजनीतिक संकट आया है. इमरान खान कभी मार्च कर रहे हैं, कभी भाषण दे रहे हैं, एक अजीब सियासी तमाशा बना हुआ है मुल्क. ये राजनीतिक संकट सरकार को ठीक से चलने नहीं दे रही है. सरकार के लिए काम करना असंभव सा हो गया है. पाकिस्तान की सरकार खुद आधा वक्त तो इमरान खान के साथ सियासी फुटबॉल खेल रही है. उसे सरकार चलाने का कहां वक्त है.’

आर्थिक संकट

अमेरिकी प्रोफेसर पाकिस्तान के आर्थिक संकट को लेकर कह रहे हैं, ‘पाकिस्तान में महंगाई बहुत ज्यादा है. पाकिस्तान का विकास दर काफी कम है, निर्यात भी बेहद कम है जिस कारण कई तरह के आर्थिक मुश्किलें पैदा हो चुकी हैं. सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि अगर उन्हें किसी चीज की जरूरत पड़ी तो वो विदेशों से खरीद नहीं सकते क्योंकि उनके पास विदेशी मुद्रा भंडार नहीं है. अगर वो डिफॉल्ट हो जाते हैं तो उनकी क्रेडिट रेटिंग बर्बाद हो जाएगी और उन्हें कहीं से लोन लेने में बड़ी मुश्किल आएगी. 10-20 साल लगते हैं डिफॉल्ट से रिकवर होने में.’

सुरक्षा का संकट

प्रोफेसर मुक्तदर खान कहते हैं कि पाकिस्तान में सुरक्षा का मसला बेहद गंभीर मसला बन चुका है. उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान फिलहाल दो जंग लड़ रहा है. एक अफगानिस्तान तालिबान के खिलाफ…बॉर्डर पर जो झगड़े चल रहे हैं वो जंग की तरह ही हैं. दूसरी जंग- तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के खिलाफ. टीटीपी ने तो बकायदा अपनी एक अलग सरकार घोषित कर दी है. तो पाकिस्तान में अब दो सरकारें चल रही हैं. अगर पाकिस्तान की सरकार टीटीपी के खिलाफ जंग छेड़ती है तो वो भागकर अफगानिस्तान जाएंगे. और अगर पाकिस्तान उनको वहां जाकर मारता है तो दोनों देशों में जंग जरूर  होगी.’

प्रोफेसर का कहना है कि अफगानिस्तान तालिबान पाकिस्तान से डरने वाले नहीं हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्होंने तो अमेरिका को भी हरा दिया और वो इसी तरह लड़ते रहेंगे.

सिस्टम का संकट

प्रोफेसर कहते हैं, ‘पाकिस्तानी सरकार का जो स्ट्रक्चर है, उसमें तनाव आ गया है. वहां की फौज ऐसे काम करती है मानों उसकी एक अलग सरकार चल रही है. पाकिस्तान में ये जो हालात हैं कि एक लोगों की सरकार है, एक सेना की सरकार चल रही है, एक टीटीपी की सरकार चल रही है, बहुत चकराने वाला है. वो लोग जो टीटीपी के प्रभाव वाले इलाके में रहते हैं, उनके लिए सरकार कौन है? यह पाकिस्तान का सिस्टम संकट है जिसे खत्म करने के लिए उसे स्टेट को री-डिजाइन करना होगा. पाकिस्तान को अपनी फौज को भी इस तरह से बनाना होगा कि वो लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार के नियंत्रण में रहे.’

पहचान का संकट

मुक्तदर खान कहते हैं कि पाकिस्तान में एक तबका ऐसा है जो चाहता है कि पाकिस्तान एक सेक्युलर, उदार लोकतंत्र रहे जिसमें सोचने की आजादी हो, किसी भी धर्म, संस्कृति को मानने की आजादी हो. वहीं, दूसरा तबका चाहता है कि पाकिस्तान में सख्त शरिया कानून लागू हो जैसा कि अफगानिस्तान में तालिबान ने लागू किया है. अगर पाकिस्तान में टीटीपी की हुकूमत आ गई तो पहला काम तो वो यही करेंगे कि सभी औरतों को काम से निकाल देंगे, पढ़ने भी नहीं देंगे. पाकिस्तान में यह एक तरह का पहचान का संकट है कि लोग किस तरह की सरकार चाहते हैं.

पर्यावरण संकट

प्रोफसर का कहना है कि इन सभी मानव निर्मित संकटों को पर्यावरण का संकट कई गुना बढ़ा देता है. पाकिस्तान में बार-बार आने वाले तूफान, बाढ़, भूकंप देश को गर्त में ले जाने का काम कर रहे हैं. ये सब सरकार के लिए चुनौती खड़ी करते हैं, अर्थव्यवस्था पर इनसे बोझ पड़ता है. साल 2023 पाकिस्तान के लिए बेहद नाजुक रहने वाला है.

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