‘पिता 4 बार, मैं 2 बार से सांसद लेकिन घर के सामने बनी टंकी चालू नहीं करा पाया’, लोकसभा में लाचार हुए बीजेपी MP

लखनऊ। सरकार की महत्‍वाकांक्षी परियोजनाएं कैसे छोटे लेकिन अहम कारणों के चलते नाकाम हो जाती हैं इसकी झलक आज संसद में देखने को मिली। संसद के बजट सत्र के दौरान सोमवार को शून्‍यकाल के दौरान बीजेपी के सलेमपुर से सांसद रविंद्र कुशवाहा (Ravindra Kushwaha) ने सदन के सामने अपनी लाचारी बयान की। उन्‍होंने कहा, मेरे पिता चार बार सांसद रहे, मैं दो बार से सांसद हूं लेकिन 20 साल पहले अपने घर के सामने बनी पानी की टंकी से एक बूंद पानी की सप्‍लाई नहीं करा पाया।

देवरिया और बलिया जिले के कुछ ह‍िस्‍सों को मिलाकर बनी सलेमपुर लोकसभा सीट से बीजेपी के सांसद रविंद्र कुशवाहा ने कहा, पीएम नरेंद्र मोदी की हर घर नल के जरिए जल पहुंचाने की महत्‍वाकांक्षी योजना चल रही है। इसमें यूपी में बहुत तेजी से काम हो रहा है। इसके तहत तमाम नगर पंचायतों में और ग्राम पंचायतों में पानी की टंकियां बन रही हैं। हर घर तक नल के जरिए पानी पहुचाने के लिए पाइप लाइन डाली जा रही है। तमाम काम पूरे हो गए हैं।

उन्‍होंने आगे कहा, ‘पानी की टंकियां भी बन गई हैं। इन टंकियों को चलाने का जिम्‍मा नगर पंचायत और ग्राम पंचायत को हैंडओवर कर दिया है। लेकिन इनके संचालन के लिए इनके पास अपना कोई टेक्‍न‍िकल स्‍टाफ नहीं है। इस वजह से पानी की टंकियां बनकर खड़ी हैं लेकिन पानी नहीं पहुंच पा रहा है। जिस उद्देश्‍य के लिए ये बनीं वह उद्देश्‍य ही बेकार हो गया। यह योजना सफल नहीं हो पा रही है।’

फिर अपने प्रयासों का जिक्र करते हुए सांसद ने कहा, ‘मेरी एक व्‍यक्तिगत पीड़ा है। इसी सदन में मेरे पिता चार बार सांसद थे। हमारे घर के सामने 20 साल से पानी की टंकी बनी है लेकिन एक बूंद पानी उस पानी की टंकी से सप्‍लाई नहीं हुआ। हम दूसरी बार सांसद हैं, मेरे पिता चार बार सांसद रह चुके हैं। हम अपने घर के सामने मौजूद पानी की टंकी को ही चालू नहीं करा पा रहे हैं।’

कुशवाहा ने कहा, मैं जिले की दिशा कमिटी का मेंबर भी हूं, पर बहुत बार कहने के बाद भी यह काम नहीं हो पाया। इसलिए सदन के माध्‍यम से यह बात कहना चाहता हूं। नगर पंचायत और ग्राम पंचायत में जो टंकियां बन रही हैं उन्‍हें चलाने के लिए टेक्‍नीकल स्‍टाफ भर्ती किया जाए, क्‍योंकि जिस उद्देश्‍य के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने यह योजना शुरू की वह पूरा नहीं हो पा रहा है।

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