नीचा और अछूत समझा; पसमांदा की फिक्र और UCC का जिक्र कर PM मोदी का बड़ा संकेत

नीचा और अछूत समझा; पसमांदा की फिक्र और UCC का जिक्र कर PM मोदी का बड़ा संकेतक्या 2024 के लोकसभा चुनाव में पसमांदा मुसलमान और समान नागरिक संहिता भाजपा के लिए सबसे बड़ा मुद्दा होंगे? पीएम नरेंद्र मोदी ने तो मंगलवार को भोपाल में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ऐसे ही संकेत दिए हैं। उन्होंने पसमांदा मुसलमानों की फिक्र और समान नागरिक संहिता का जिक्र करते हुए अपने इरादे जाहिर कर दिए। उन्होंने कहा कि देश में कुछ दल मुसलमान-मुसलमान की रट लगाए रहते हैं, लेकिन उनके ही पसमांदा वर्ग का शोषण हुआ है। उन्होंने कहा कि आप हमारे मुसलमान भाई-बहनों की तरफ देखोगे तो पसमांदा मुस्लिमों के साथ वोटबैंक की राजनीति के शिकार हैं। उनका जीना मुश्किल करके रखा गया है। वे कष्ट में गुजारा करते हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि उनकी आवाज सुनने के लिए कोई तैयार नहीं है। उनके ही धर्म के एक वर्ग ने पसमांदा मुसलमानों का इतना शोषण किया है और बराबरी का हक नहीं मिलता। पीएम मोदी ने कहा कि पसमांदा मुसलमानों तो नीचा और अछूत समझा जाता है। एक ही सांस में प्रधानमंत्री ने पसमांदा मुसलमानों की मोची, लालबेगी, भटियारा, मेरासी, डफाली, मुकेरी, मदारी, जुलाहा, लम्बाई, बेजा, बामणिया, लहरी, हलदर, सिकदर जैसी ना जाने कितनी जातियां गिना दीं और कहा कि इन्हें भेदभाव का शिकार बनाया गया। इसका नुकसान उनकी कई पीढ़ियों को भुगतना पड़ा, लेकिन भाजपा हर नागरिक के लिए सबका साथ और सबका विकास की भावना से काम कर रही है।

पसमांदा मुसलमानों को हमने हक दिया, दूर करेंगे सारे भ्रम

हमने उन्हें भी स्वास्थ्य सुविधा का हक दिया है और पीएम आवास योजना के तहत उनको भी पक्का घर मिल रहा है। भाजपा के कार्यकर्ता जब मुसलमान भाई-बहनों के बीच इन तथ्यों के साथ जाएंगे तो उनका भ्रम दूर होगा। यही नहीं पीएम मोदी ने इस मौके पर समान नागरिक संहिता और तीन तलाक का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आज कल हम देख रहे हैं कि समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भड़काया जा रहा है। यदि एक घर में फैमिली एक सदस्य के लिए कुछ और कानून हो और दूसरा के लिए अलग कानून तो कैसे परिवार चलेगा। यदि ऐसी व्यवस्था रही तो फिर देश कैसे चलेगा। भारत के संविधान में भी समान अधिकार की बात कही गई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे लगता है कि जो भी तीन तलाक के पक्ष में बातें करते हैं, ये वो लोग हैं, जो मुस्लिम बेटियों के साथ अन्याय चाहते हैं। कुछ लोगों को लगता है कि तीन तलाक से तो सिर्फ महिलाओं की ही बात हो रही है। इससे सिर्फ बेटियों को नुकसान नहीं होता। इसका दायरा कहीं बड़ा है। परिवार बहुत अरमानों के साथ बेटी की शादी करता है और कोई तीन तलाक कहके उसे निकाल दे तो उस परिवार क्या होगा, जिसकी बेटी निकाल दी जाती है। इससे पूरे परिवार तबाह हो जाते हैं।

इस्लाम से है तीन तलाक का संबंध को मुस्लिम देशों में क्यों नहीं?

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