अमित शाह ने OBC सांसदों-विधायकों की गिनाई संख्या, पीएम मोदी का भी जिक्र; राहुल गांधी को यूं दिया जवाब

अमित शाह ने OBC सांसदों-विधायकों की गिनाई संख्या, पीएम मोदी का भी जिक्र; राहुल गांधी को यूं दिया जवाबनई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर बोलते हुए राहुल गांधी के ओबीसी वाले दावे को लेकर पलटवार किया। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी में OBC सासंदों और विधायकों की संख्या गिनाते हुए कहा कि विपक्ष को महज राजनीति करनी है। शाह ने कहा, ‘मोदी सरकार में 29 ओबीसी मंत्री हैं। हमारी सरकार में 85 ओबीसी सांसद हैं। इतना ही नहीं, हमारी पार्टी में 27 प्रतिशत विधायक OBC हैं और 40 फीसदी ओबीसी MLC भी हमारे पास हैं।’ अमित शाह ने कहा कि जो पार्टियां OBC का राग अलापती हैं, उन्होंने कभी भी ओबीसी प्रधानमंत्री नहीं बनाया है। मगर, बीजेपी ने OBC PM दिया है।’

अमित शाह ने कहा कि कुछ लोग सोशल मीडिया में भूमिका बना रहे हैं कि इस विधेयक में ओबीसी को आरक्षण का प्रावधान नहीं है, मुसलमानों को आरक्षण का प्रावधान नहीं है, इसलिए इसका विरोध होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर इसका समर्थन आज नहीं करेगे तो भी क्या यह जल्दी आ जाएगा? तब भी 2029 के बाद ही आएगा। शाह ने कहा, ‘लेकिन अगर समर्थन करेंगे तो इसके आने की गारंटी होगी। हम शुरुआत तो करें। इसमें कोई देरी नहीं होनी है। चुनाव के बाद तुरंत जनगणना और परिसीमन दोनों होंगे और बहुत जल्द यह कानून बनेगा। हम जो कहते हैं, वह करते हैं।’

‘एक तिहाई आरक्षित सीटें कौन तय करेगा?’
अमित शाह ने तत्काल नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू करने के राहुल गांधी समेत अनेक विपक्षी सदस्यों के सुझाव पर कहा कि देश में महिलाओं के लिए आरक्षित होने वाली एक तिहाई सीटें कौन तय करेगा? उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि अगर वायनाड (राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र) में ऐसा हो गया तो क्या होगा, अगर हैदराबाद सीट महिला के लिए आरक्षित कर दी जाए तो एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी नाराज हो जाएंगे। गृह मंत्री ने राहुल का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि ‘कोई एनजीओ उन्हें चिट बनाकर दे देता है, उसे यहां पढ़ दिया जाता है। राजनीति के लिए लोग भाषण करते रहे, लेकिन मन से कल्याण करने का काम नरेंद्र मोदी ने किया है।’

महिला आरक्षण बिल पर बहस के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘कुछ पार्टियों के लिए महिला सशक्तीकरण एक राजनीतिक एजेंडा हो सकता है। कुछ पार्टियों के लिए महिला सशक्तीकरण का नारा चुनाव जीतने का एक हथियार हो सकता है, लेकिन भाजपा के लिए महिला सशक्तीकरण राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि मानवता का सवाल है।’ उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल लाने का यह 5वां प्रयास है। देवेगौड़ा जी से लेकर मनमोहन सिंह जी तक चार बार इस बिल को लाने की कोशिश की गई… क्या कारण था कि ये बिल पास नहीं हो सका?

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