CAA, बांग्लादेश से घुसपैठ, ED पर हमला…जानें रोहिंग्या का बंगाल कनेक्शन

CAA, बांग्लादेश से घुसपैठ, ED पर हमला...जानें रोहिंग्या का बंगाल कनेक्शनकेंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन विधेयक को लोकसभा चुनाव के पहले अधिसूचित करने का फैसला किया है. सीएए के लागू होने के बाद सबसे ज्यादा जो राज्य प्रभावित होंगे, वे असम, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, त्रिपुरा और पूर्वी भारत के राज्य हैं. सीएए के लागू होने से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए सिख, जैन, बौद्ध, हिंदू,पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता मिलेगी. वहीं, घुसपैठियों की शिनाख्त होगी और उनकी भारतीय नागरिकता खतरे में पड़ जाएगी.

कुल मिलाकर कर लोकसभा चुनाव के पहले फिर से सीएए, बांग्लादेश से घुसपैठ, ईडी और सीबीआई की जांच और रोहिंग्या का भारत की धरती पर उपस्थिति फिर से पश्चिम बंगाल की सियासत में बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है और ईडी के अधिकारियों पर हमले से इसकी शुरुआत हो गई है.

बता दें कि म्यांमार में जून 2012 में बौद्धों के साथ हुए दंगों के बाद भारी संख्या में रोहिंग्या भागकर बांग्लादेश पहुंच गये थे. फिलहाल रोहिंग्या बांग्लादेश के कॉक्स बाजार के कैंप में रह रहे हैं, जिस समय रोहिंग्या बांग्लादेश आए थे. उस समय उनकी आबादी करीब आठ लाख थी, लेकिन अब यह बढ़कर करीब 11 लाख हो गई है और बांग्लादेश सरकार लगातार रोहिंग्या को वापस भेजने की पहल कर रही है, लेकिन इसमें वह संभव नहीं हो पा रहा है.

बंगाल सहित पूर्वी भारत में रोहिंग्या की घुसपैठ

लेकिन बांग्लादेश में शरण लिए रोहिंग्या भारत के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल बांग्लादेश के साथ 2,217 किमी लंबी सीमा साझा करता है और इसमें कुछ इलाकों में सीमा पर फेंसिंग नहीं है और उनसे बांग्लादेश से लगातार घुसपैठ की शिकायत मिलती रही है. बीएसएफ हालांकि घुसपैठियों को पकड़ती है, लेकिन फिर से भी वे उनकी आंखों में धूल झोंककर भारत में प्रवेश करने में सफल होते हैं और उनके साथ चलता है, गायों की तस्करी, ड्रग्स और सोने की स्मलिंग का खेल.

बता दें कि हाल में मिजोरम सरकार ने स्वीकार किया है कि मिजोरम में 35,126 म्यांमार शरणार्थी हैं, जिनमें से 15,589 राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं, जबकि 19,458 या तो किराए के मकान में या रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं. आइजोल में किराए के मकान में रहने वाले अधिकांश लोग राजनीतिक शरणार्थी हैं और उन्हें असम राइफल्स द्वारा संरक्षित किया गया है.

कुछ साल पहले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने कहा था कि पिछले 12 महीनों (1 दिसंबर, 2018 – 30 नवंबर, 2019) में भारत-बांग्लादेश सीमा पर 72 रोहिंग्या भारत में प्रवेश किए हैं और भी प्रवेश करने की फिराक में हैं. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बंगाल सरकार के जवाब मांगा, तो बाद में पता चला कि रोहिंग्या उस इलाके से गायब हो गए.

बंगाल में टीएमसी नेताओं से मिल रहा संरक्षण

वरिष्ठ पत्रकार पार्थ मुखोपाध्याय बताते हैं कि उस समय ये रोहिंग्या दक्षिण 24 परगना जिले के बरुईपुर में रह रहे थे. कई टीएमसी से जुड़े मुस्लिम नेता रोहिंग्या को आश्रय दे रहे थे, लेकिन जब केंद्रीय गृह मंत्रालय इसकी रिपोर्ट तलब की, तो ये वहां गायब हो गये. बाद में रिपोर्ट आई कि ये घोटियारी शरीफ में बस गए हैं. घोटियारी में 2 एकड़ जमीन पर आरोपी टीएमसी नेताओं ने रोहिंग्या को संरक्षण दिया गया था. रोहिंग्यों के लिए टिन के शेड बनाकर खाने के लिए एवं रहने के इंतजाम किए गए थे. टीएमसी नेता हुसैन गाजी के लोगों पर इन्हें आश्रय देने का आरोप लगा था, लेकिन बाद में घोटियारी शरीफ से ये सुंदरबन के सुदूर इलाके में चले गए. अब ये संदेशखाली के सरबेरिया में अपना डेरा बनाए हुए हैं. इसी सरबेरिया इलाके में ईडी अधिकारियों पर हमले हुए हैं.

उनका कहना है कि रोहिंग्या उग्र मानसिकता के लोग हैं. बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में जहां इनका कैंप है. प्रत्येक दिन किसी ने किसी दिन हत्या की घटना घटती है और खून-खराबा उनके लिए आम बात है. ऐसे में टीएमसी के कुछ मुस्लिम नेता रोहिंग्या को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं. टीएमसी के उन नेताओं के संरक्षण में ही रोहिंग्या अपना गुजर बसर करते हैं और उनके लिए वे कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं.

सीएएन ने घुसपैठियों की उड़ाई नींद

बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया कि टीएमसी के नेता शेख शाहजहां इन रोहिंग्या को संरक्षण दे रहा है. ऐसे में जब ईडी के अधिकारी शेख शाहजहां के घर पर पहुंचे, तो स्थानीय ग्रामीणों के साथ-साथ उनके समर्थकों ने उन पर हमला बोल दिया. बीजेपी का कहना है कि वास्तव में वे रोहिंग्या ही हैं, जिन्हें शेख शाहजहां ने संरक्षण दे रखा है. चूंकि लोकसभा चुनाव के पहले फिर से सीएए लागू करने की बात हो रही है. ऐसे में बांग्लादेश से आए घुसपैठियों को भी सबसे ज्यादा इससे खतरा है.

दूसरी ओर, टीएमसी प्रचार कर रही है कि साल 1971 में बांग्लादेश स्वतंत्रता युद्ध के समय आये ज्यादातर शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता मिल चुकी है. ऐसे में सीएए का कोई मतलब नहीं है. टीएमसी का आरोप है कि वास्तव में एक खास वर्ग को निशाना बनाया जा रहा है. टीएमसी के इस प्रचार से बांग्लादेश से बड़ी संख्या में घुसपैठ कर आए घुसपैठिए चिंतित हैं और ईडी अधिकारियों पर हमला इसी चिंता और रोष का प्रतिफल है. चूंकि पश्चिम बंगाल की आबादी का लगभग 34 फीसदी मुस्लिम है. ऐसे में सत्तारूढ़ टीएमसी अल्पसंख्यकों को किसी भी कीमत पर खुश रखना चाहती है, क्योंकि बंगाल में सत्ता के रास्ते उनसे होकर ही गुजरती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *