लोहे लंगड़ के बीच शुक्ला स्वीट्स का मिठास और मेहमानवाजी का लखनऊवा उपहार

हम फिदा-ए-लखनऊ है किसमें हिम्मत जो छुड़ाए लखनऊ…!

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का अपना मिजाज है, उबाल मारती सियासत और ज्येष्ठ माह के सूरज की गर्मी ने वातावरण में आग लगा रखी है लेकिन लखनऊ है जनाब, यहां के मतवालों और दीवानों के अंदाज ही निराले हैं और अदब का क्या कहना , सूरज भी तहज़ीब से अपनी गर्मी शिद्दत के साथ दिखाता है, शाम होते ही जहां अवध की सरजमी में नल्ली, नहारी और बिरयानी का खुमार चढ़ने लगता है तो वही सुबहे लखनऊ कुरकुरी जलेबी, खस्ते की आमद जिंदगी में नए रंग भर देती है। तहजीब और अदब से लबरेज इस शहर की हर चीज़ में आपको राजसी और नवाबी जीवन की झलक मिलेगी. चौक का मक्खन, मठ्ठा और लस्सी पेट को रहत देती है तो अमीनाबाद की कुल्फी ठंडक का एहसास दिलाती है, टुंडे का कबाब जहाँ सिखता हों वहां के लाल शीरमाल का क्या कहना, इदरीस की बिरयानी का ज़िक्र हो तो लल्ला का नाम भी गंगा जमुनी तहज़ीब का रंग भरता है। लखनऊ का चिकन तवे पर जलता है तो गर्मी में लखनऊ की चिकनकारी देश विदेश में धूम मचाती है,
लखनऊ में।खस्ते की बात होगी तो लोहे, लंगड़ और बिजली के सामान जहाँ मिलते हो उस hewett रोड का ज़िक्र ज़रूर आएगा, जहां लाल आलू से लेकर, तिकोने खस्ते के कई नामचीन प्रतिष्ठान दिखाई देते है लेकिन इनसे अलग हटकर जो जगह कभी पुराना RTO के लिए जानी जाती थी आज Shukla Sweets के नाम से इसलिए जानी जाती है क्योंकि यहाँ सिर्फ खस्ते, जलेबी ही नही मिलते, शुक्ला जी का प्यार मुफ्त में मिलता है, और गरमा गरम खस्तो के साथ लखनऊ की मेहमाननवाज़ी भी देखने को मिलती है, नज़ाकत और नफासत की चाशनी में लिपटी जलेबी जब शुक्ला जी के हाथों से निकलकर पेट तक जाती है तो मिठास और ज़ायका कई गुना बढ़ जाता है और इसी जज़्बात, मोहब्बत, मेहमाननवाज़ी के चलते लोहे लंगड़ के बीच शुक्ला स्वीट्स ने अपना एक बड़ा मुक़ाम बनाया है, इसीलिए अब ये सड़क पुराने RTO के बजाए शुक्ला स्वीट्स के नाम से जानी जाती है। सुबहे लखनऊ को आबाद करना हो और ज़िंदगी मे खुशियों के नए रंग भरना हो तो शुक्ला स्वीट्स पर चाय वाय का दौर ज़रूरी है और साथ मे मिलेगा शुक्ला जी का प्यार, आशीर्वाद, वो भी एकदम मुफ़्त। हालाँकि इनका कोई दुश्मन नहीं लेकिन कहते हैं ये अपने अंदाजेबयां से दुश्मनों को भी अपना मुरीद बना सकते हैं। एक बार जो शुक्ला स्वीट्स गया, वो वहीँ का हो गया और इसकी खास वजह है यहां की मिठासभरी जुबान और मेहमाननवाज़ी का लखनऊवा उपहार।

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