Chandrayaan 3: झंडे पर चांद होना और चांद पर झंडा होने में औकात का अंतर, कवि कुमार विश्वास ने कसा PAK पर तंज

Chandrayaan 3: झंडे पर चांद होना और चांद पर झंडा होने में औकात का अंतर, कवि कुमार विश्वास ने कसा PAK पर तंजइसरो ने बुधवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 के लैंडर की लैंडिंग करवाकर इतिहास रच दिया। लैंडर विक्रम ने शाम छह बजकर चार मिनट पर चांद की सतह को जैसे ही छुआ, पूरा देश खुशी से उछल पड़ा। भारत पहला ऐसा देश है, जिसने चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग की है। वहीं, चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश है। इससे पहले अमेरिका, चीन और सोवियत संघ चंद्रमा पर लैंड कर चुके हैं। भारत के इतिहास रचने पर लोकप्रिय कवि कुमार विश्वास ने पाकिस्तान पर तंज कसा है।

अपने ट्वीट में फवाद हुसैन ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग पर बधाई दी थी। उन्होंने लिखा था, ”चंद्रमा पर चंद्रयान3 का लैंड करना ISRO के लिए कितना बड़ा क्षण है। मैं इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ के साथ कई युवा वैज्ञानिकों को इस क्षण का जश्न मनाते हुए देख सकता हूं। केवल सपनों वाली युवा पीढ़ी ही दुनिया को बदल सकती है। शुभकामनाएं।” फवाद हुसैन के इसी ट्वीट को कोट करते हुए कुमार विश्वास ने तंज कसते हुए वीडियो डाला और लिखा, ”सच्चाई का पता चलने के लिए बहुत बधाई मिस्टर फसाद”

चंद्रयान-3 की लैंडिंग के साथ ही इसरो ने रचा इतिहास
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के बाद भारत वहां पहुंच गया है जहां पहले कोई देश नहीं पहुंचा है। अंतरिक्ष अभियान में बड़ी छलांग लगाते हुए भारत का चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ बुधवार शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा। भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में यह ऐतिहासिक उपलब्धि ऐसे समय मिली है जब कुछ दिन पहले रूस का अंतरिक्ष यान ‘लूना 25’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के मार्ग में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। गत 14 जुलाई को 41 दिन की चंद्र यात्रा पर रवाना हुए चंद्रयान-3 की सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ और इस प्रौद्योगिकी में भारत के महारत हासिल करने से पूरे देश में जश्न का माहौल है। चार साल में भारत के दूसरे प्रयास में चंद्रमा पर अनगिनत सपनों को साकार करते हुए चंद्रयान-3 के चार पैरों वाले लैंडर ‘विक्रम’ ने अपने पेट में रखे 26 किलोग्राम के रोवर ‘प्रज्ञान’ के साथ योजना के अनुसार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में सफलतापूर्वक ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की। शाम 5.44 बजे लैंडर मॉड्यूल को चंद्र सतह की ओर नीचे लाने की शुरू की गई प्रक्रिया के दौरान इसरो वैज्ञानिकों ने इस कवायद को ‘दहशत के 20 मिनट’ के रूप में वर्णित किया।

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